Vinayak Chaturthi Vrat: इस दिन पुष्य नक्षत्र, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का हो रहा है निर्माण, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस दिन पुष्य नक्षत्र, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का हो रहा है निर्माण, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
  • ज्येष्ठ मास में व्रत 10 जून को रखा जाएगा
  • इस दिन पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है
  • रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है, जो कि प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को समर्पित है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) का व्रत रखा जाता है। वहीं ज्येष्ठ मास में यह व्रत 10 जून, सोमवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति विधि-विधान से बप्पा की आराधना करता है, उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, ज्येष्ठ माह की चतुर्थी के दिन पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

तिथि और मुहूर्त

चतुर्थी तिथि आरंभ: 09 जून, रविवार दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से

चतुर्थी तिथि समापन: 10 जून, सोमवार शाम 04 बजकर 14 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग: सुबह 05 बजकर 19 मिनट से रात्रि 09 बजकर 40 मिनट तक

पुष्य नक्षत्र योग: 10 जून 2024, सोमवार रात 09 बजकर 40 मिनट तक

पूजन विधि

- विनायक चतुर्थी पर स्नान कर गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करें।

- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें।

- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।

- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं।

- इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।

- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।

- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।

- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।

- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।

- फिर वैशाख चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं।

- गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   8 Jun 2024 7:20 AM GMT

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