क्या है "नेल्सन नंबर"?, क्यों क्रिकेट में माना जाता है पनौती 

What is Nelson number?, Why is cricket considered as a ranaut
क्या है "नेल्सन नंबर"?, क्यों क्रिकेट में माना जाता है पनौती 
एक खास संख्या की कहानी क्या है "नेल्सन नंबर"?, क्यों क्रिकेट में माना जाता है पनौती 
हाईलाइट
  • यह नंबर कोई टीम छुए या कोई खिलाड़ी दोनों ही 'नेल्सन नंबर' की श्रेणी में आ जाते है
  • अंपायर डेविड शेफर्ड की वजह से हुआ प्रचलित
  • क्रिकेट जगत में '111' संख्या को नेल्सन नंबर कहा जाता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान एक मैच में भारत ने न्यूजीलैंड के सामने 111 रनों का लक्ष्य रखा। न्यूजीलैंड ने आसानी से इस लक्ष्य का पीछा कर यह मैच आठ विकेट से जीत लिया। दिलचस्प बात यह है की क्रिकेट जगत में "111" संख्या को नेल्सन नंबर कहा जाता है। इसका नाम एडमिरल नेल्सन के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि नेल्सन सिर्फ एक आंख, एक हाथ और एक पैर वाले व्यक्ति थे, लेकिन ऐसा नहीं है। नेल्सन के दोनों पैर सलामत थे। हालांकि जंग के दौरान, दो अलग-अलग हादसों में उन्होंने अपनी आंख और एक हाथ जरूर खो दिया था। 

What is Nelson in Cricket

क्रिकेट में 111 संख्या को पनौती माना जाता है। बहुत से खिलाड़ियों, अंपायरों और फैंस का मानना है कि इस स्कोर पर अक्सर विकेट गिरते हैं। 111 के साथ ही 222 और 333 जैसी संख्याओं को भी डबल नेल्सन और ट्रिपल नेल्सन से संबोधित किया जाता है। इसी वजह से ऐसा माना जा रहा था कि 111 के स्कोर का पीछा करते हुए उस मैच में न्यूजीलैंड की किस्मत खराब हो सकती थी और यह टीम छोटे स्कोर का पीछा करते हुए हार सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और न्यूजीलैंड ने आसानी से मैच जीत लिया था। 

क्रिकेट में "नेल्सन" को शामिल करने के पीछे की कहानी

शब्द "नेल्सन" को दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसकों के लिए परिचय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे 111 के मल्टीप्लस (गुणा, जैसे 222,333, आदि)  के रूप में जाना जाता है। यह नंबर कोई टीम छुए या कोई खिलाड़ी दोनों ही "नेल्सन नंबर" की श्रेणी में आ जाते है।

यह शब्द एक ब्रिटिश नौसेना अधिकारी के नाम से आया है। जिन्होंने अपने जीवन के दौरान कई जंग लड़ी और उस दौरान उन्हें चोटें आना स्वाभाविक था, इसलिए परिणामस्वरूप उन्होंने अपने कई अंग खो दिए थे। कई लोग इस संख्या को बुरा संकेत मानते है, हालांकि ऐसे उदाहरण कम ही हैं। जब भी कोई टीम 111 रन पर विकेट खोती है या बल्लेबाज उस स्कोर पर आउट होता है तो कमेंटेटर इसे ऑन एयर "नेल्सन स्ट्राइक" के रूप में नामित करते हैं।

कौन थे होरेशियो नेल्सन

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होरेशियो नेल्सन का जन्म 29 सितंबर,1758 को ब्रिटेन में हुआ था। उनका पूरा नाम था वाइस एडमिरल होरेशियो नेल्सन, पहले विस्काउंट नेल्सन और पहले ही ड्यूक ऑफ ब्रोंटे, केबी (KB) थे। वह 1771 से 1805 के बीच रॉयल नेवी में एक ब्रिटिश ध्वज अधिकारी थे और वो अपने नेतृत्व के लिए काफी मशहूर थे, जिसने नेपोलियन युद्धों के दौरान ब्रिटिश नौसेना के लिए कई जीत हासिल की थी।

कब, कहा और कैसे लगी चोंटे-

पहली चोट

12 जुलाई 1974 को कोर्सिका पर हमले के दौरान, नेल्सन आत्मरक्षा के लिए जिस सैंडबैग के पीछे छिपे हुए थे, उसमे ही सामने से किसी ने गोली मार दी, जिस कारण उनकी दाहिनी आंख में भारी मात्रा में बालू और पत्थर चले गए। उस हमले में नेल्सन की आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और इससे उसकी दृष्टि चली गई थी।

दूसरी चोट

सांता क्रूज डी टेनेरिफ की असफल लड़ाई के दौरान, नेल्सन ने 1797 में अपना दाहिना हाथ खो दिया था। जब उनकी नाव अपनी मंजिल पर पहुंची, तो उन्हें दाहिने हाथ में किसी ने राइफल से गोली मार दी गई थी, इससे उनके ह्यूमरस की हड्डी कई जगह टूट गई थी।

ऐसे हुई थी मौत 

1805 में बंदरगाह शहर काडिज़ के पास ट्राफलगर की लड़ाई में उनकी अंतिम जीत के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नेल्सन को लोगों द्वारा "एक आंख, एक हाथ और एक पैर" के रूप में संबोधित किया जाता था, लेकिन उनके दोनों पैर सलामत थे जब उनकी मृत्यु हुई थी। 

क्रिकेट के साथ संबंध

नेल्सन शब्द अजीब तरह से क्रिकेट के में प्रसिद्ध हो गया क्योंकि टीमों ने 111 और उसके मल्टीप्लस (गुणकों) को घातक माना। एक लंबे समय तक क्रिकेट इतिहासकार और स्कोरर रहे बिल फ्रिंडल ने एक बार नेल्सन को "एक आंख, एक हाथ और एक वगैरह" कहा था। उनका मानना था कि नेल्सन के शरीर का कथित तीसरा अंग "कुछ और" खो गया था।

न्यूजीलैंड में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक टीम का नाम भी नेल्सन था

नेल्सन का क्रिकेट में प्रवेश का एक कारण यह भी हो सकता है क्योंकि न्यूजीलैंड में प्रथम श्रेणी टीम का नाम नेल्सन था, यह 1874 और 1891 के बीच प्रथम श्रेणी क्रिकेट का हिस्सा रही थी। वेलिंगटन के खिलाफ अपने 17 मैचों में से, नेल्सन टीम अपने पहले मैच में 111 रन पर ऑलआउट हो गई थी। मैच एक टाई में समाप्त हुआ। दिलचस्प बात यह है कि 1891 में एफसी क्रिकेट में उनकी अंतिम पारी, वेलिंगटन के खिलाफ भी, 111 पर समाप्त हुई थी।

अंपायर डेविड शेफर्ड की वजह से हुआ प्रचलित 

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शानदार आईसीसी अंपायरों में से एक डेविड शेफर्ड जब भी किसी टीम का स्कोर 111 के गुणकों में होता था तो वह एक पैर पर कूदने के लिए जाने जाते थे। 11 नवंबर, 2011 को दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक टेस्ट मैच के दौरान, घरेलू टीम को 111 और रनों की आवश्यकता थी। 11:11 बजे जीतने के पर, अंपायर इयान गोल्ड और मैदान में मौजूद दर्शकों ने उस मिनट के लिए शेफर्ड के कूदने के निर्णय को फिर से दोहराया था।


 

Created On :   1 Nov 2021 10:23 PM IST

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