नागरिक संशोधन अधिनियम: अमेरिका को भारत ने दिया करारा जवाब, कहा- 'सीएए हमारा पर्सनल मैटर, दखल न दे अमेरिका'
- अमेरिकी प्रवक्ता ने दिया था सीएए पर बयान
- रणधीर जयसवाल ने दिया करार जवाब
- जयसवाल ने कहा सीएए हमारा पर्सनल मैटर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। पिछले मंगलवार (12 मार्च) से यह कानून देश भर में लागू हो चुका है। इसके बाद से ही देश और विदेश हर जगह इस कानून की चर्चा हो रही है। जहां एक तरफ देश की विपक्षी पार्टियां सरकार के इस कानून के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रही हैं। वहीं अलग-अलग देशों से भी इसको लेकर टिप्पणियां की जा रही हैं। इस बीच अमेरिका की ओर से इस कानून को लेकर बयान दिया गया था। इसको लेकर अब भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया है। उन्होंने कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। इसलिए सीएए लागू होने पर अमेरिका का बयान गलत और अनुचित है।
अमेरिकी प्रवक्ता ने दिया था बयान
दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना पर चिंता जताई थी। जहां अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा? धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं। अब अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता की ओर से दिए गएइस बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने करारा जवाब दिया है।
रणधीर जयसवाल ने दिया जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, ''जहां तक अमेरिकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है। भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अल्पसंख्यकों के प्रति किसी भी चिंता या व्यवहार का कोई आधार नहीं है। वोट बैंक की राजनीति को संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए एक प्रशंसनीय पहल के बारे में विचार निर्धारित नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है। उन्हें व्याख्यान देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। भारत के भागीदारों और शुभचिंतकों को उस इरादे का स्वागत करना चाहिए। जिसके साथ यह कदम उठाया गया है।"
क्या है नागरिक संशोधन अधिनियम?
नागरिक संशोधन अधिनियम के बारे में बताते हुए रणधीर जयसवाल ने कहा, "यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आ चुके हैं। सीएए से नागरिकता मिलेगी, इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी। सीएए राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।"
Created On :   15 March 2024 11:26 AM GMT