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Seoni News: चीनी करतूतों के खिलाफ तिब्बत की अखिल भारतीय बाइक रैली पहुंची सिवनी
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- 14 राज्यों से होते हुए प्रदेश में दस्तक, जबलपुर की ओर हुई रवाना
- तिब्बती पहचान को दबाने के लिए चीनी सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
- चीन द्वारा तिब्बती संस्कृति और पहचान को व्यवस्थित रूप से मिटाने कि कठोर नीतियां लागू की जा रही हैं।
Seoni News: चीन के विरोध में तिब्बती युवा कांग्रेस द्वारा बीते साल 22 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश के भारत-तिब्बत सीमा बुमला दर्रे के तवांग से प्रारंभ हुई बाइक रैली मंगलवार को नागपुर होते हुए सिवनी पहुंची। 11 बाइकों वाली इस रैली के साथ अगुवाई करते हुए चार पहिया वाहन में तिब्बती युवा कांग्रेस के अध्यक्ष गोंपो ढुंडुप भी चल रहे हैं। रैली की सिवनी में रैली की अगवानी नगर पालिका के बगल में लगे तिब्बती ल्हासा मार्केट के प्रमुख छेंखर्ग वांगछेन ने की।
कुछ देर रूकने के बाद रैली जबलपुर की ओर रवाना हो गई। यह बाइक रैली अरूणाचल प्रदेश, असम, नागालैण्ड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार,झारखण्ड, उडीसा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, गोवा व महाराष्ट्र के सतारा, लातुर, नांदेड़, यवतमाल, चंद्रपुर, भण्डारा, नागपुर होते हुए सिवनी पहुंची। तिब्बती युवा कांग्रेस के अध्यक्ष गोंपो ढुंडुप ने बताया कि यह रैली भारत के 19 से अधिक राज्यों में पंद्रह हजार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 25 जनवरी को दिल्ली पहुंचेगी।
उन्होंने बताया कि इस रैली का मुख्य उद्देश्य चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा तिब्बत में की जा रही क्रूरताओं को उजागर करना और उसके छह दशकों से चले आ रहे अवैध शासन का विरोध करना है। हमारा लक्ष्य तिब्बत में चल रहे सांस्कृतिक नरसंहार की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का तत्काल ध्यान आकर्षित करना है। चीन द्वारा तिब्बती संस्कृति और पहचान को व्यवस्थित रूप से मिटाने कि कठोर नीतियां लागू की जा रही हैं।
इन नीतियों में तिब्बती बच्चों को औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों में जबरन दाखिल करना, तिब्बती संस्कृति से संबंधित शैक्षणिक गतिविधियों को सीमित करना और तिब्बती भाषा को संरक्षित करने का प्रयास करने वाले शिक्षकों और व्यक्तियों को कैद करना इत्यादि। इसके अतिरिक्त तिब्बती स्कूलों और मठों को जबरन बंद करना जो कि तिब्बती संस्कृति, भाषा और आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण के लिए एक बड़ा खतरा है।
तिब्बती पहचान को दबाने के लिए चीनी सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए हम भारत सरकार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय और गैर-सरकारी संगठनों से आग्रह करते हैं कि वे तिब्बत में इस सांस्कृतिक नरसंहार को समाप्त करने की मांग को ले कर अपनी आवाज उठाएं।
Created On :   8 Jan 2025 6:51 PM IST