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Satna News: ए-ग्रेड मंडी-पीने को मिलता है खौलता पानी, कंडम हो चुके हैं वाटर कूलर

- सीमेंट की टंकियों में पानी भरकर पीने के पानी की व्यवस्था भी प्रबंधन के नकारेपन का शिकार है।
- पूर्ण दर्जा प्राप्त जिले में दो ही मंडियां हैं, इनमें से ए-ग्रेड सतना मंडी को ही प्राप्त है।
Satna News: यहां जिला मुख्यालय में कृषि उपज मंडी की कमाई के मुख्य आधार माने जाने वाले किसानों को गर्मी के मौसम में शीतल पेयजल तक नसीब नहीं हो रहा। यूं तो कहने को 7 वाटर कूलर मौसम के अनुकूल शुद्ध पेयजल के लिए कुछ वर्ष पूर्व प्रांगण में लगवाए गए थे। मगर यह मेंटीनेंस के अभाव में कबाड़ जैसी स्थिति में हैं। सीमेंट की टंकियों में पानी भरकर पीने के पानी की व्यवस्था भी प्रबंधन के नकारेपन का शिकार है।
बताते हैं कि गर्मी के मौसम में टंकियों का खौलता पानी ही पीने के लिए न सिर्फ किसानों, अनुज्ञाप्तिधारी व्यापारियों और मेहनतकश हम्मालों की नियति बन गई हैै। कुछ टंकियों में नलों की टोंटियां भी क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में टंकियों के ढक्कन खोलकर पानी निकालना पड़ता है, जिससे कचरा भरने से पानी खराब होता है।
पूर्ण दर्जा प्राप्त जिले में दो ही मंडियां हैं, इनमें से ए-ग्रेड सतना मंडी को ही प्राप्त है। वहीं नागौद की मंडी बी-ग्रेड है। ए-ग्रेड की मंडी में अपेक्षाकृत डाक नीलामी में व्यापारियों के बीच ज्यादा प्रतिस्पर्धा के चलते बेहतर रेट से आकर्षित हो। औसतन तीन-चार सौ किसान रबी और खरीफ सीजन में हर रोज अनाज बेचने के लिए आते हैं।
पेयजल पर सालाना व्यय 4 लाख
मंडी का यूं तो अबकि वित्त वर्ष 2025-26 का कुल बजट 16 करोड़ 19 लाख 46 हजार रुपए का है। इसमें से करीब 16 करोड़ 70 लाख 38 हजार व्यय किए जाने के बाद 29 लाख सात हजार रुपए की बचत का अनुमान है। इसी आय-व्यय के इसी समीकरण में मंडी समिति द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 में भी गत वर्ष की ही तरह साल भर में पीने के पानी से संबंधित देयकों और अन्य व्यवस्थाओं के लिए 4 लाख रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है।
उधर वित्त वर्ष 2023-24 में पेयजल प्रबंधन पर मंडी समिति द्वारा लगभग 2 लाख 88 हजार रूपए व्यय किए गए थे। लेकिन तब भी पेयजल समस्या को लेकर जैसी शिकायतें थीं, लगभग वैसे ही हालात अब भी बनते जा रहे हैं।
अभी तक प्याऊ भी नहीं खुले
बताते हैं कि हर साल रबी मौसम की फसलों की आवक शुरू होने और पहले से ज्यादा तादात में अनाज बेचने के लिए हर रोज मंडी आने वाले किसानों की सुविधा के लिए प्रांगण में प्याऊ खोले जाने की परंपरा रही है। इस नेक काम में गल्ला तिलहन और कृषि उपज व्यापारी संघ की ओर से भी मंडी प्रशासन को आवश्यक सहयोग दिया जाता था।
मगर यथा राजा तथा प्रजा की तर्ज पर चल रही व्यवस्था के बीच करीब 54 एकड़ के मंडी प्रांगण में एक भी प्याऊ खोले जाने की पहल अधिकारियों की ओर से नहीं की गई है।
इनका कहना है-
मंडी में सबसे ज्यादा समस्या किसानों का डाक नीलामी और भुगतान में हो रही है। पेयजल की समस्या भी अब हो रही है। टंकियों का गंदा पानी मिल रहा है। वॉटर कूलर चालू करवाना चाहिए।
कमलभान, कृषक
पेयजल व्यवस्था में सुधार के साथ ही कैंटीन को भी चालू करवाना चाहिए। भुगतान से संबंधित व्यवस्था में भी सुधार की आवश्यकता हैं, क्योंकि अनाज बेचने के बाद घंटों तक तौल के अभाव में व्यापारी किसानों को भुगतान नहीं कर पाते।
भरत कुमार, कृषक
उपलब्ध वॉटर कूलरों की मरम्मत करवाकर जल्द से जल्द मानक गुणवत्ता के पेयजल की व्यवस्था मंडी समिति को करना चाहिए। आवश्यक होने पर इस व्यवस्था में व्यापारी भी सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
विनोद अग्रवाल, मंत्री कृषि उपज व्यापारी संघ
मंडी में पेयजल की समस्या किसी को नहीं होने दी जाएगी। दो वॉटर कूलर चालू हैं, कुछ और जल्द ही चालू किए जाएंगे। टंकियों की सफाई भी समय-समय पर करवाई जाती है। जल्द ही प्याऊ भी खोले जाएंगे।
करुणेश तिवारी, मंडी सचिव
Created On :   10 April 2025 1:50 PM IST