Panna News: प्राचीन पथरया तालाब गंदगी और अतिक्रमण के साए में अपना अस्तित्व खोता हुआ

प्राचीन पथरया तालाब गंदगी और अतिक्रमण के साए में अपना अस्तित्व खोता हुआ
  • प्राचीन पथरया तालाब गंदगी और अतिक्रमण के साए में अपना अस्तित्व खोता हुआ
  • पर्यावरण और स्थानीय जनजीवन पर प्रभाव

Panna News: शहर के वार्ड क्रमांक ०4 में स्थित प्राचीन पथरया तालाब आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। कभी राजाओं की शान और पन्ना की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में पहचाने जाने वाला यह तालाब आज गंदगी और अतिक्रमण का शिकार हो गया है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो यह ऐतिहासिक संरचना इतिहास के पन्नों में दफन हो जाएगी।

इतिहास और गौरवशाली अतीत

पथरया तालाब का निर्माण पन्ना के राजाओं के शासनकाल में किया गया था। उस समय तालाब केवल पानी का स्त्रोत ही नहीं थे बल्कि यह शाही स्थापत्य कला और जल संरक्षण की अद्भुत मिसाल थे। बड़े तालाबों के साथ कई छोटे-छोटे तालाब और तलैयों का निर्माण भी किया गया था जो क्षेत्र के लोगों की जल आवश्यकताओं को पूरा करते थे। पथरया तालाब का निर्माण न केवल जल संरक्षण के लिए बल्कि पर्यावरण को संतुलित रखने और स्थानीय निवासियों के लिए एक रमणीय स्थल के रूप में किया गया था।

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गंदगी और अतिक्रमण की मार

वर्तमान में पथरया तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। तालाब के चारों ओर अतिक्रमण ने इसकी सीमाओं को संकुचित कर दिया है। स्थानीय निवासियों और दुकानदारों द्वारा तालाब के आसपास अवैध निर्माण किए जा रहे हैं जिससे तालाब का प्राकृतिक स्वरूप नष्ट हो रहा है। वहीं तालाब में फेंकी जा रही गंदगी और कचरा इसे प्रदूषित कर रहा है। प्लास्टिक, घरेलू कचरा और मलबे की वजह से पानी का स्तर घट गया है और इसका सौंदर्य पूरी तरह खत्म हो गया है।

प्रशसानिक उदासीनता

प्राचीन संरचनाओं और जल स्त्रोतों को संरक्षित रखने के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी होती है लेकिन अफसोस की बात है कि पथरया तालाब की हालत पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी कई बार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते तालाब की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है।

पर्यावरण और स्थानीय जनजीवन पर प्रभाव

पथरया तालाब का महत्व केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ही नहीं है बल्कि यह पर्यावरण और स्थानीय जनजीवन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। तालाब क्षेत्र के भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करता था जो अब लगातार गिरता जा रहा है। इसके अलावा तालाब के आसपास का क्षेत्र कभी जीव-जंतुओं और पक्षियों का आश्रय स्थल हुआ करता था लेकिन अब यह गंदगी और प्रदूषण के चलते अनुपयुक्त हो गया है।

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जीर्णोद्धार की आवश्यकता

पथरया तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है। सबसे पहले तालाब के आसपास के अतिक्रमण को हटाया जाना चाहिए और इसकी सीमाओं को संरक्षित किया जाना चाहिए। तालाब की सफाई के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए जिसमें स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और नागरिकों की भागीदारी हो। इसके साथ ही तालाब के जीर्णोद्धार के लिए उचित धनराशि और विशेषज्ञता का उपयोग करना होगा ताकि इसे इसके पुराने स्वरूप में बहाल किया जा सके।

स्थानीय लोगों की पहल

पथरया तालाब को बचाने के लिए स्थानीय लोगों को भी आगे आना होगा। तालाब को गंदगी और कचरे से मुक्त रखने के लिए सामुदायिक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। साथ ही स्कूल-कॉलेजों में जल संरक्षण और प्राचीन धरोहरों के महत्व पर कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को इस कार्य से जोड़ा जा सकता है।

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भविष्य की संभावनाएं

यदि पथरया तालाब का पुर्नउद्धार किया जाता है तो यह न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का कार्य होगा बल्कि यह पन्ना शहर के पर्यटन और पर्यावरण को भी बढ़ावा देगा। तालाब को एक पर्यावरणीय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है जहां लोग इसकी सुंदरता का आनंद ले सकें और इससे जुड़ी ऐतिहासिक कहानियों को जान सके। पथरया तालाब केवल पन्ना का एक तालाब नहीं है यह हमारे अतीत, हमारी संस्कृति और हमारे पर्यावरण का प्रतीक है। इसे बचाने के लिए अब भी समय है लेकिन इसके लिए प्रशासन और स्थानीय नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह प्राचीन धरोहर केवल हमारी स्मृतियों में रह जाएगी।

Created On :   19 Dec 2024 11:48 AM IST

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