पन्ना: मशीनों ने छीना कामगारों से मजदूरी का रोजगार, काम के अभाव में हर साल बढ़ रही है मजदूरों के पलायन की रफ्तार

मशीनों ने छीना कामगारों से मजदूरी का रोजगार, काम के अभाव में हर साल बढ़ रही है मजदूरों के पलायन की रफ्तार
  • मशीनों ने छीना कामगारों से मजदूरी का रोजगार
  • काम के अभाव में हर साल बढ़ रही है मजदूरों के पलायन की रफ्तार
  • जेसीबी के साथ ही दैत्याकार पोकलेन मशीनो की बढ़ रही है संख्या

डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना जिले में आबादी का एक बडा भाग अपनी आजीविका के लिए मजदूरी पर निर्भर है जो मजदूरी कर अपनी आजीविका पर निर्भर है उनमें समाज के कमजोर एवं वंचित समुदाय के अनुसूचित जाति जनजाति तथा अति पिछेड़ वर्ग से जुडे लोगो की बडी तादात है। पन्ना जिले में मजदूर वर्ग की आजीविका का साधन हीरा खदान, पत्थर खदान के साथ ही शासकीय क्षेत्रो में मनरेगा तथा अन्य योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध होने वाली मजदूरी और खेतीहर मजदूरी रहा है परंतु मजदूरों को मजदूरी के जो भी अवसर जिले में उपलब्ध है उन मशीनों का लगातार कब्जा बढ़ता जा रहा है। कृषि में ट्रैक्टर थ्रेसर के साथ ही गहाई के लिए बडी-बडी मशीनें आ जाने के चलते कृषि क्षेत्र में मजदूरी न के बराबर जिले में रह गई है जिसके चलते बडी संख्या में खेतीहर मजदूर परिवार बेरोजगार हो चुके है इसके अलावा सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में जेसीबी ही नही बल्कि बडी-बडी पोकलेन मशीनों के बढ़ते उपयोग के चलते इन क्षेत्रों में बडी संख्या में जो लोगों को मजदूरी का कार्य मिलता था वह भी छिंन गया है। पन्ना तथा देवेन्द्रनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत हीरा धारित क्षेत्रों में चलने वाली उथली हीरा खदानों में खदानों की खुदाई का कार्य मजदूर करते रहे है।

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सरकार द्वारा नियमों के अनुसार ही उथली हीरा खदानों में मशीनों से खुदाई नहीं की जा सकती किन्तु शासन का यह नियम हीरा खदानों को लेकर भी किनारे रख दिया गया है। हीरा खदानो की खुदाई के लिए खुलेआम जेसीबी तथा पोकलेन मशीनों का उपयोग हो रहा है। रात में भी बडी-बडी खदानें जेसीबी और पोकलेन मशीनों से खोदी जाती है गत दिवस एसडीएम पन्ना के नेतृव में सरकोहा स्थित दो व्यक्तियों के निजी खेतो में संचालित हीरा खदानों में खुदाई के लिए लगी तीन पोकलेन मशीनो को पकड़ा गया था इसके साथ ही साथ वहां तीन अन्य पोकलेन मशीनें चालकों के भाग जाने के चलते जप्त नहीं हो पाई थी। हीरा खदानों में मशीनों का प्रयोग प्रतिबंधित है रात में हीरा खदान उत्खनन का कार्य भी अवैध है इसके चलते तीन पोकलेन मशीनों को अवैध उत्खनन पर पकडा गया था किन्तु एसडीएम के नेतृत्व में की गई इस कार्यवाही पर अवैध उत्खननकर्ताओं और मशीन मालिकों का राजनैतिक रसूख इस रूप में सामने आया है कि कागजी खानापूर्ति करके बिना किसी ठोस कार्यवाही के पकडी गई मशीनों को छोडे जाने की कार्यवाही की गई। इस तरह से जब कभी मशीनों के मामले में कार्यवाही भी होती है तो उस पर राजनैतिक रसूख के साथ ही प्रभाव एवं अंदर खाने में लेनदेन का धंधा इतना भारी हो जाता है कि मशीनें छूट जाती है और कार्यवाहियां दिखावे तक ही सीमित हो जाती है।

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अजयगढ तहसील क्षेत्र में केन नदी के घाट होने की वजह से रेत का प्रचुर मात्रा में भण्डार है रेत खनन नीति के अनुसार रेत खनन के कार्य में मजदूरों को काम मिले इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए किन्तु इस क्षेत्र में भी दैत्याकार पोकलेन मशीनें अवैध रूप से रेत उत्खनन कर मजदूरों की मजदूरी पर चल रही है। इन सब हालातों के चलते जिले के मजदूरों को जिलेे में इतना काम नहीं मिल पा रहा है कि वह अपने और अपने बच्चों का भेट भर सकें और इसके चलते पेट की आग बुझाने के लिए इस जिले से लाखों की संख्या में मजदूर बाहर मजदूरी के लिए पलायन कर चुके हैं। मशीनों के बढ़ते प्रचलन के साथ ही पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मजदूर दम्पत्ति जब मजदूरी के लिए बाहर जाते है तो अपने साथ अपने बच्चों को भी मजबूरी में ले जाते है और इसके चलते एक आकड़ा अभी हाल में ही सामने आया है कि जिले में प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत ४० हजार से अधिक स्कूली छात्र-छात्राये ड्राफ बाक्स में है जो कहां है इसका पता ही नही चल पा रहा है।

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मजदूरों को काम देने के लिए बनी मनरेगा योजना मशीनों में दबी

भारत सरकार द्वारा ग्रामीण मजदूरों को उनके अपने ग्राम पंचायत अथवा आसपास की पंचायतो में काम मिले इसके लिए प्रत्येक ग्रामीण परिवार को १०० दिन की मजदूरी की गारण्टी देने का कानून रोजगार गारण्टी अधिनियम बनाया गया था और इस अधिनियम के अंतर्गत सरकार द्वारा महात्मा गांधी रोजगार गारण्टी योजना प्रारंभ की गई योजना के प्रावधान के अनुसार मनरेगा के तहत मशीने का उपयोग कानून रूप से प्रतिबंधित है और अधिनियम का उल्लंघन करने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का भी प्रावधान किया गया है। मनरेगा योजना लागू होने के शुरूआती वर्षाे में योजना का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों ग्राम पंचायतो, कार्य एजेंसियों में इसको लेकर स्थिति यह रही कि कानून कड़ा होने की वजह से बडी संख्या में मजदूरों को मनरेगा से रोजगार मिलने लगा किन्तुू जिस तरह से साल गुजरते गए अधिकारियों तथा जिम्मेदारों ने रोजगार गारण्टी के मूल उद्देश्य को ही किनारे कर दिया है रोजगार गारण्टी योजना के अंतर्गत मजदूरों के स्थान पर मशीनें ग्राम पंचायतों के कार्याे में खुलेआम चल रही है। जल संरक्षण भूमि सुधार से लेकर तालाबों के निर्माण कार्याे में मजदूरों का काम दैत्याकार मशीनों से करवाया जा रहा है और कागजो में वह लोग जो मजदूरी नहीं करते उनके तैयार जॉब कार्डाे पर मास्टर रोल से कागजों में मजदूरी का कार्य करवाया जा रहा है यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में मनरेगा में जो थोडा बहुत काम मिल रहा है वह भी खत्म हो जायेगा।

Created On :   17 Jun 2024 1:01 PM GMT

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