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जिला परिषद शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने का सपना हो न सका पूरा-मची रही उथल-पुथल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के लिए वर्ष 2019 निराशाजनक रहा। पहले 6 महीने पदाधिकारियों की सत्ता रही। जून में जिला परिषद बर्खास्त कर प्रशासक को संपूर्ण कामकाज की कमान सौंप दी गई है। सत्ता में रहते हुए पदाधिकारियों ने शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के सपने सजाए थे। इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना, ओबीसी तथा खुले वर्ग के विद्यार्थियों को गणवेश वितरण, स्कूलों पर नियंत्रण के लिए जिला स्तर और पंचायत समिति स्तर पर उड़नदस्तों का गठन करने की योजना बनाई गई थी। पदाधिकारियों के सपनों को अधूरा छोड़ वर्ष समाप्त होने की कगार पर है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, तो मिला आदेश
जिला परिषद का कार्यकाल मार्च 2017 में समाप्त हो गया। सर्कल पुर्नरचना और आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीमकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने चुनाव स्थगित करने के आदेश जारी करने पर राज्य सरकार ने तत्कालीन सदस्य और पदाधिकारियों को अगले आदेश तक कार्यरत रहने के आदेश दिए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जून 2019 में जिला परिषद बर्खास्त कर दी गई। प्रशासक िनयुक्त कर प्रशासकीय और पदाधिकारियों के संपूर्ण अधिकार प्रशासक को दिए गए। जिला परिषद पर सीईओ और पंचायत समिति पर गट विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया गया। 21 जून से जिला परिषद पर प्रशासकराज चल रहा है।
स्कूलों पर उड़नदस्तों का नियंत्रण नहीं
जिला परिषद स्कूलों की घटती साख बचाने के लिए स्कूलों पर नियंत्रण रखने उड़नदस्ते गठित करने का निर्णय लिया गया था। जिला स्तर पर सीईओ के नेतृत्व में एक दस्ता और पंचायत समिति स्तर पर गट विकास अधिकारी के नेतृत्व में 13 तहसीलों में उड़नदस्ते गठित किए जाने थे, लेकिन न उड़नदस्तों का गठन हुआ और न ही स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कोई ठोस उपययोजना की गई। शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार की दिशा में जिला परिषद का यह कदम ख्याली पुलाव बनकर रह गया। योजना थी कि जिला परिषद का कोई एक वरिष्ठ अधिकारी प्रतिदिन स्कूलों का दौरा करेगा। शिक्षकों की उपस्थिति, स्कूल में उपलब्ध सुविधा, विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता आदि की जांच करना अपेक्षित था।
Created On :   25 Dec 2019 12:13 PM IST