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पुलिस आरक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा करने वाले मुन्ना भाई को 10 साल की कैद
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीपक कुमार पांडे ने व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले फतेहाबाद आगरा निवासी मुन्नाभाई को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी की जगह किसी और युवक ने ऑनलाइन परीक्षा दी थी, शारीरिक दक्षता परीक्षा में दस्तावेजों की जांच के दौरान आरोपी को पकड़ा गया था। न्यायालय ने आरोपी पर 6500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 और मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3(घ) (2) के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान पेश किया था।
ये है मामला
अभियोजन के अनुसार 24 सितंबर 2016 को छठवीं बटालियन रांझी स्थित मैदान में व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा का शारीरिक दक्षता टेस्ट लिया जा रहा है। शारीरिक दक्षता टेस्ट में शामिल होने फतेहाबाद आगरा निवासी राजबहादुर सिंह पहुंचा। दस्तावेजों की जांच के दौरान राजबहादुर की फोटो का मिलान नहीं हुआ। इसके बाद ऑनलाइन परीक्षा के दौरान लिए गए फिंगर प्रिंट से उसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराया गया। फिंगर प्रिंट का भी मिलान नहीं हुआ।
परीक्षा किसी और ने दी मेडिकल कराने के लिए कोई और आया
रांझी पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पता चला कि 29 जुलाई 2017 को इंदौर में आयोजित ऑनलाइन परीक्षा में उसकी जगह कोई और शामिल हुआ था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 और मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3(घ) (2) के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान पेश किया। अतिरिक्त लोक अभियोजक कुक्कू दत्त ने तर्क दिया कि आरोपी ने फर्जीवाड़ा कर पुलिस में भर्ती होने की कोशिश की है। भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने का चलन बढ़ता जा रहा है। भर्ती परीक्षा की शुचिता को बरकरार रखने के लिए आरोपी को कठोर सजा दी जाना चाहिए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास और 6500 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।
Created On :   12 July 2019 7:49 AM GMT