जन्म शताब्दी वर्ष पर भी याद नहीं आए सुर सम्राट सरोद अली 

Sur Samrat Sarod Ali did not remember even on the birth centenary year
जन्म शताब्दी वर्ष पर भी याद नहीं आए सुर सम्राट सरोद अली 
पद्म विभूषण सुर सम्राट अली अकबर जन्म शताब्दी वर्ष पर भी याद नहीं आए सुर सम्राट सरोद अली 

डिजिटल डेस्क, सतना। भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पद्म विभूषण सुर सम्राट अली अकबर भले ही किसी परिचय के मोहताज न हों, लेकिन जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर 14 अप्रैल को उन्हीं की कर्मस्थली मैहर में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी ने सांकेतिक ही सही मगर गरिमापूर्ण समारोह की जरुरत नहीं समझी। जानकारों के मुताबिक असल में मार्च में मैहर में आयोजित तीन दिवसीय संगीत समारोह में सुर सम्राट की तंग सी छाया प्रदर्शनी लगा कर औपचारिकता पहले ही पूरी की जा चुकी है। उल्लेखनीय है, वर्ष 1922 में  शिवपुर के ब्राम्हणवाड़ी (अब बांग्लादेश) में जन्में अकबर अली, पद्म विभूषण उस्ताद अलाउद्दीन खां के इकलौते पुत्र थे। सरोद में सिद्धहस्त सुर सम्राट को भारतीय शास्त्रीय संगीत पिता से  विरासत में मिला था। 

न भूतो न भविष्यति-

छोटी बहन पद्म भूषण अन्नपूर्णा देवी की राय में  सुर सम्राट सरोद अली वस्तुत: भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में न भूतो न भविष्यति थे। अन्नपूर्णा देवी विश्व की इकलौती ऐसी शख्यित थीं जो  सुरबहार (रुद्र वीणा) के वादन में विशेषज्ञ गुरु मां के रुप में आज भी पूजित हैं।  सरोद अली  1943 में जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह के दरबार में कोर्ट म्यूजिशियन थे। 1948 में एक प्लेन हादसे में महाराजा के निधन के बाद सरोद अली मुंबई आ गए थे।  अनेक फिल्मों में इनका संगीत निर्देशन रहा। वर्ष 1967 में कोलकाता में अली अकबर कॉलेज ऑफ म्यूजिक की स्थापना की। वह अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में संगीत के प्राध्यापक भी रहे।    

आरडी वर्मन ने ली थी सरोद की शिक्षा-

हिंदी फिल्मों के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर राहुल देव वर्मन (आरडी वर्मन) ने अली अकबर खां से सरोद की दीक्षा ली थी।  आरडी वर्मन की पत्नी और मशहूर पाश्र्व गायिका आशा भोसले प्राय: सुर सम्राट सरोद अली से शास्त्रीय संगीत का सबक लिया करती थीं।  यह भी एक इत्तेफाक था कि राहुल देव के म्यूजिक डायरेक्टर पिता शंकरदेव वर्मन ने यहां मैहर आकर उस्ताद अलाउद्दीन खां से बांसुरी सीखी थी। फीचर फिल्म आंधिया में सरोद अली का म्यूजिक डायरेक्शन आज भी जीवंत है। भारत रत्न पं.रविशंकर के साथ अनुराधा और गोदान में भी उनका योगदान आज भी याद किया जाता है।  अनुराधा और गोदान को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने स्वर दिए थे। 

5 बार अमेरिका का ग्रेमी अवार्ड-

सुर सम्राट अली अकबर को भारत सरकार ने वर्ष 1967 में पहले पद्मभूषण और फिर वर्ष 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। महान सरोद वादक अली अकबर एक दो नहीं अपितु 5 बार अमेरिका के प्रतिष्ठित ग्रेमी अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं। वर्ष 1952 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की पहल पर अली अकबर और पं.रविशंकर ने मुंबई में अमेरिका के मशहूर वायलिन वादक यहूदी मेनूहिन के साथ पहली बार मंच साझा किया था। यहूदी मेनूहिन ने अपनी आत्मकथा अनफिनिस्ड जर्नी में लिखा था- भारतीय शास्त्रीय संगीत ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। यह इस बात का साक्ष्य है कि संगीत का मूल उद्गम भारतीय संगीत है। अली अकबर और पं.रविशंकर को अंतरराष्ट्रीय मंच देने का श्रेय  यहूदी मेनूहिन को जाता है। पश्चिमी देशों के नामवर वीटल्स ग्रुप के संस्थापक जार्ज हैरिसन भी सरोद अली के मुरीद थे।  हैरिसन की मदद से ही सरोद अली ने नार्थ अमेरिका के मार्डन आर्ट के न्यूयार्क म्यूजियम में समा बांध दी थी। एलिस्टर कुक के टीवी प्रोग्राम ओमिनी बस में अली अकबर का विशेष प्रदर्शन आज भी लोकप्रिय है।  
 

Created On :   14 April 2022 6:53 AM GMT

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