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Jabalpur News: लागत 32 से 48 करोड़ हुई अब बजट ही नहीं मिल रहा

- सरस्वतीघाट ब्रिज: चलते काम में ड्राइंग बदली
- हाई फ्लड एरिया का आकलन किये बिना काम शुरू कर दिया
- जो काम शुरुआत में होना चाहिए वह बाद में किया
Jabalpur News: नर्मदा में सरस्वती घाट से गौरी गांव तक जो नदी पर ब्रिज बन रहा है उसका वर्क बीच में अटका हुआ है। यह ब्रिज ठेका स्वीकृत होने के बाद बनाना तो आरंभ कर दिया गया लेकिन लोक निर्माण सेतु के अधिकारियों ने हाई फ्लड एरिया का सटीक आकलन ही नहीं किया जिसके चलते निर्माण के बीच में तेज बहाव वाले इस एरिया में नये सिरे से ड्राइंग बदली तो इसकी लागत 32 से बढ़कर 48 करोड तक पहुंच गई। प्लान को नये ड्राइंग के बाद लोक निर्माण मंत्रालय भेजा गया। बीते साल जब प्रस्ताव को बदलकर भेजा गया तो विभाग ने इसकी बढ़ी हुई लागत को स्वीकृत ही नहीं किया।
इस तरह पहली बार में प्रोजेक्ट का सही एस्टीमेट न बना पाने, ड्राइंग में सशोधन करने का नतीजा यह है कि यह ब्रिज निर्माण को लेकर लंबे समय से उलझा हुआ है। कुछ पिलर आधे बनने के बाद काम बंद है और लोग लोक निर्माण सेतु के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।
एक नजर इस पर
ब्रिज बनने से नर्मदा परिक्रमा में आसानी होगी
इस पार से उस पार जाना-आना सहज होगा
ब्रिज की पहले लागत 32 करोड़ थी, जो 48 हो गई
स्वीकृति मिलने पर भी निर्माण में लंबा वक्त लगेगा
कुल 17 पिलर बनने थे जिसमें कुछ की लंबाई बढ़ी
पिलरों की गहराई को भी परिवर्तित किया गया है
इसलिए बढ़ जाती है लागत तकनीकी तौर पर यह कहा जाता है कि किसी भी सेतु संबंधी निर्माण में गड्ढे, मिट्टी, लेंथ, लगने वाले लोहे की मात्रा बढ़ना, सीमेण्ट का ज्यादा उपयोग जैसे कई पहलू हैं जिससे लागत बढ़ जाती है। इसमें ज्यादातर मौकों पर तो कारण सही होता है लेकिन कई बारी डीपीआर बनाने में ही सावधानी नहीं बरती जाती है।
यह हद दर्जे की लापरवाही है
जानकारों कहना है कि इस मामले में अधिकारियों ने लापरवाही बरती। जब डीपीआर बन रही थी तो पहले ही इसका आकलन कर लिया जाना था कि यह पूरा क्षेत्र नर्मदा का हाई फ्लड एरिया है। यहां पर पिलरों की संख्या से लेकर सही पहलू काे तय कर एस्टीमेट तय करना चाहिए था। जो शुरुआती काम था वह उस वक्त न हो पाने से निर्माण में आधे पिलर बन जाने के बाद हो रहा है जिससे ब्रिज लंबे समय से अटका हुआ है।
Created On :   28 April 2025 6:35 PM IST