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धान आधारित इथेनाल से पूर्वी विदर्भ के किसानों की चमकेगी किस्मत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। धान की चुराई के बाद बचने वाले फसल के अवशेष से इथेनाल बनाने की परियोजना को मंजूरी मिल गई। भंडारा जिले में परियोजना पर काम भी होने लगा है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी की संकल्पना के तहत यह परियोजना शुरू करने का विचार किया गया था। राज्य सरकार ने परियोजना को मंजूरी देकर संकल्पना को नया आधार दिया है। यह परियोजना पूर्व विदर्भ के किसानों की आर्थिक हालत बदलने में सहायक होगी। विधानपरिषद सदस्य परिणय फुके ने कहा है कि परियोजना को जल्द ही गति मिलनेवाली है।
रोजगार बढ़ेगा
परियोजना से रोजगार बढ़ेगा। भंडारा, गोंदिया के अलावा गड़चिरोली जिले में भी धान की फसल होती है। चंद्रपुर, वर्धा जिले के कुछ हिस्सों में यही फसल प्रमुखता से उगाई जाती है। नागपुर जिले में रामटेक, उमरेड क्षेत्र प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्र हैं। पूर्व विदर्भ से लगे मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट व छत्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनांदगांव जिले में धान की फसल ही प्रमुखता से उगाई जाती है। गोंदिया से चावल का निर्यात किया जाता है। जिले में धान क्लस्टर तैयार करने की योजना पर भी काम चल रहा है। गड़चिरोली जिले में वडसा, देसाईगंज को चावल हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है। धान की फसल में तनस का फिलहाल कोई उपयोग नहीं होता है। पालतू पशु के चारा के तौर पर कुछ पैमाने पर इस्तेमाल के बाद बाकी को खेत में ही जला दिया जाता है। व्यर्थ जानेवाले तनस को भाव मिलने से रोजगार बढ़ेगा।
क्या है परियोजना
बायो-डीजल उत्पादन के लिए नई नई प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहे नितीन गडकरी ने धान के तनस अर्थात अवशेष के आधार पर इथेनाल बनाने की परियोजना की संकल्पना की थी। गन्ना, जटरोफा व अन्य कृषि उपज पर आधारित प्रकल्प पहले से ही चल रहे हैं। 3 वर्ष पहले गडकरी ने तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ मिलकर बायो-डीजल उत्पादन परियोजनाओं को साकार करने का निर्णय लिया था। पंजाब, हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में परियोजना मंजूर की गई। महाराष्ट्र में भंडारा जिले में यह परियोजना साकार करने का निर्णय लिया गया। भंडारा महामार्ग के बायपास रोड पर तिड्डी के पास मकरधोकड़ा में यह परियोजना होगी। परियोजना के लिए 1500 करोड़ रुपए खर्च अपेक्षित है। 700 टन जैव ईंधन प्रतिवर्ष तैयार किया जाएगा। भारत पेट्रोलियम कारपोेरेशन लिमिटेड बीपीसीएल की यह परियोजना है।
भंडारा की विशेषता
राज्य में सबसे अधिक धान उत्पादन गोंदिया व भंडारा जिले में होता है। धान उत्पादन के साथ दोनों जिले में क्रमश: 3.62 लाख व 3.87 लाख मैट्रिक टन तनस तैयार होता है। भंडारा में बन रहे प्रकल्प में प्रतिवर्ष 2 लाख मैट्रिक टन तनस की आवश्यकता होगी। प्रकल्प के लिए मकरधोकड़ा गांव की सीमा में 46 हेक्टेयर शासकीय जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा। इस परिसर में राज्य सरकार की मालकियत की 146 हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए औद्योगिक विकास महामंडल से जमीन वर्गीकरण की प्रक्रिया चल रही है। 46 हेक्टेयर जमीन बीपीसीएल को दी जाएगी।
क्या होता है तनस
धान की फसल के अवशेष को तनस कहा जाता है। धान चुराई के बाद शेष बचनेवाला वह हिस्सा जो सूखे चारे के तौर पर पशुओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तनस का पराली, कड़बा, पैरा आदि भी कहा जाता है। भंडारा, गोंदिया जिले में कृषि आधारित यह पहला बड़ा प्रकल्प होगा। इन जिलाें में दूध उत्पादन भी अधिक होता है, लेकिन दूध आधारित खाद्य सामग्री की बड़ी परियोजना नहीं है। गडकरी ने ही मदर डेयरी के माध्यम से यहां दूध को अधिक भाव दिलाने का प्रयास किया है। तनस से तैयार होनेवाले इथेनाल से किसान ट्रैक्टर चला पाएंगे।
Created On :   22 July 2019 1:05 PM IST