कभी सड़क पर तो कभी गार्डन में की प्रैक्टिस, मुंबई पहुंचे हुआ आडिशन में सिलेक्शन

Nagpur : Choreographer Pankaj Dongre shares his DID experience
कभी सड़क पर तो कभी गार्डन में की प्रैक्टिस, मुंबई पहुंचे हुआ आडिशन में सिलेक्शन
कभी सड़क पर तो कभी गार्डन में की प्रैक्टिस, मुंबई पहुंचे हुआ आडिशन में सिलेक्शन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। खुद को साबित करने व आगे बढ़ने की धुन थी। न धूप देखी न बारिश कदम अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए निकल पड़े। ऑडिशन की पहली रात मुंबई स्टेशन पर गुजारी और दूसरे दिन तैयार होकर ऑडिशन देने पहुंच गए। जब ऑडिशन में सिलेक्शन हुआ, तो आगे का रास्ता भी नजर आने लगा। पंकज डोंगरे कोरियोग्राफर ने बताया कि किस तरह उन्होंने रामटेक गांव के बच्चों का सपना पूरा करने में मदद की।

पंकज ने बताया कि रामटेक में ही डांस क्लास चलाते थे। उन्होंने बच्चों को देखा कि वे बढ़िया डांस करते हैं और उन्हें आगे पहुंचने की इच्छा है तो उनके सपनों को पूरा करने की तैयारी में लग गए। उन्होंने डीआईडी के ऑडिशन के लिए बच्चों को 3 साल तक नि:शुल्क ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के लिए कोई जगह नहीं थी इसलिए कभी रोड पर, तो कोई गार्डन में प्रैक्टिस कराते थे। नागपुर में डीआईडी अंडर-14 के ऑडिशन के लिए बच्चों को तैयार किया और उनका सिलेक्शन भी हुआ। पंकज डोंगरे ने डीआईडी के सफर को शेयर करते हुए कहा कि मेरे साथ कोरियोग्राफर आविद सैय्यद भी थे जिन्होंने बच्चों को आगे बढ़ाने में मदद की। हमें आर्थिक मदद एक, दो जगह से मिली, साथ ही कुछ पूंजी हमारे पास जमा थी जिससे हम मुंबई पहुंच पाए। 

नहीं मिला साथ
जब मैंने बच्चों को डांस करते देखा और उनसे बात की तो बच्चों ने कहा कि वे किसी बड़े शो में जाना चाहते हैं। लेकिन पैरेंट्स उनका सपोर्ट नहीं कर रहे हैं उनके पास डांस क्लास की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं है। इसलिए बच्चों को 3 वर्ष तक लगातार डांस की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी और उन्हें डीआईडी में जाने के लिए तैयार किया। जब नागपुर में डीआईडी के ऑडिशन हुए तो एपी रॉकर्स का उसमें सिलेक्शन हो गया और मुंबई में ऑडिशन के लिए बुलाया गया। मुंबई जाने के लिए किसी के पास पैसे नहीं थे और पैरेंट्स का भी सपोर्ट नहीं था। इनके पैरेंट्स में कोई दूध बेचने वाला है, कोई मिस्त्री, किसान, तो कोई मजदूरी करता है।

कोरियोग्राफर को नहीं थी जाने की परमिशन
पंकज ने बताया कि जब मुंबई ऑडिशन में सिलेक्शन हुआ, तो हमें बच्चों को डांस सिखाने की परमिशन नहीं थी। शो के कोरियोग्राफर होते हैं जो इन बच्चों को ट्रैंड करते हैं। फिर मैंने और कोरियाग्राफर आविद सैय्यद ने सोचा कि बच्चों को हमारी जरूरत थी। हमारे पास भी रुकने के लिए काेई साधन नहीं था, इसलिए हम अंधेरी स्टेशन पर रुके और बच्चों को रात में छिपकर प्रैक्टिस कराते थे। रात को 2-3 बजे तक हम बच्चों को प्रैक्टिस कराते थे। 

पैरेंट्स ने कहा कि काम करके पैसा कमाओ
मुझे इस बात का दुख हुआ कि बच्चों में इतनी प्रतिभा होने के बाद भी पैरेंट्स ने कहा कि डांस करने की बजाय बर्तन धोकर, मजदूरी करके पैसा कमाओ। मेरा कहना था पैरेंट्स से यही था कि अगर आप बच्चों की आर्थिक मदद नहीं कर सकते हैं तो उन्हें आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट तो करो और अगर इतना ही कह देते तो कि बेटा अगर मौका मिला है तो उस मौके का फायदा उठाकर बढ़िया डांस करना। बच्चे पैरेंट्स का सपोर्ट नहीं होने से बहुत दुखी थे। बिगबी जब शो में गेस्ट थे तो उन्होंने कहा कि कोई बच्चा अगर किसी दिशा में जाना चाहता है तो रोकना नहीं चाहिए बल्कि ऊंचाई तक पहंुचाने में उसकी मदद करनी चाहिए। इसके साथ ही जजेस ने भी हमें बहुत सपोर्ट किया। अभिनेता ऋषि कपूर ने भी बच्चों की वाहवाही की थी। 
 

Created On :   25 April 2019 12:49 PM IST

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