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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 61 वर्ष में कैसे कर दिया सेवानिवृत्त - हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक से पूछा है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 61 वर्ष की आयु में कैसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने अनावेदकों को तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
62 वर्ष है सेवानिवृत्त की आयु
भोपाल निवासी खोटबहरा राम सोरी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वह मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी भोपाल में 2 मई 1998 से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत था। 30 मार्च 2019 को 61 वर्ष की आयु में उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। इस आदेश को भूतलक्षीय प्रभाव से 31 मई 2018 से लागू किया गया। याचिका में कहा गया है कि मप्र सरकार ने 31 मार्च 2018 को राज्य सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है। इसके बाद भी याचिकाकर्ता को 61 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर दिया गया।
भूतलक्षीय प्रभाव से लागू किया आदेश
अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद चौधरी और अमित चौधरी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को 30 मार्च 2019 को 61 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त किया गया। सेवानिवृत्ति आदेश को 31 मई 2018 से भूतलक्षीय प्रभाव यानी पिछले एक वर्ष से लागू किया गया, यह आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अनावेदको को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
पत्नी की प्रताड़ना तलाक के लिए पर्याप्त आधार
कुटुम्ब न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला ने अपने आदेश में कहा है कि पत्नी की प्रताड़ना पति के पक्ष में तलाक के लिए पर्याप्त आधार है। इस आधार पर न्यायालय ने पति के पक्ष तलाक मंजूर कर लिया है। पोलीपाथर निवासी लल्ली कोरी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसका विवाह रीता कोरी (बदला हुआ नाम) के साथ 9 मार्च 2003 को हुआ था। उसकी दो पुत्रियां है। उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ दहेज प्रताडऩा की एफआईआर दर्ज करा दी। इस मामले में न्यायालय ने उसे दोषमुक्त कर दिया है। इसके बाद उसके बाद पत्नी ने न्यायालय में भरण-पोषण का प्रकरण दर्ज करा दिया। उसने पत्नी को साथ रखने के लिए न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया, लेकिन पत्नी ने साथ रहने से इनकार कर दिया। इस पर पति की ओर से तलाक का आवेदन दायर कर कहा गया कि पत्नी उसे लगातार प्रताड़ित कर रही है। इसलिए उसे तलाक दिलाया जाए। अधिवक्ता अरविंद चौधरी और तरूण रोहितास के तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने पति के पक्ष में तलाक मंजूर कर लिया।
Created On :   29 May 2019 1:18 PM IST