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Jabalpur News: फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वालों पर क्यों नहीं की कार्रवाई

- जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब
- दलील दी कि पूर्व में हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- अनावेदकों ने एससी-एसटी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल कर ली।
Jabalpur News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए। सतना निवासी राजेश प्रसाद गौतम की ओर से अधिवक्ता संतोष कुमार पाठक ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पूर्व में हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सतना जिले में अनावेदक रामचरण, श्यामलाल, सुंदरलाल, रामप्यारे, रामप्रकाश व अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई भी ओबीसी वर्ग से की और इसी वर्ग से उन्होंने पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति भी ली। आरोप है कि इसके बाद अनावेदकों ने एससी-एसटी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल कर ली।
इस मामले की शिकायत पर जांच हुई। जिसमें अनावेदकों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। लिहाजा, निरस्त करने के निर्देश दिए गए थे। पूर्व में हाई कोर्ट की शरण भी ली गई थी। राज्य शासन ने अनावेदकों के विरुद्ध विधि अनुसार कार्रवाई किए जाने का अभिवचन दिया था। जब कार्रवाई नहीं हुई तो दोबारा याचिका दायर की गई।
अपराध पर संज्ञान लेकर दर्ज करें शिकायत
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए कि आपराधिक प्रकरण में अपराध पर संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज करें। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इसके लिए 45 दिन की मोहलत दी है। शहडोल निवासी सेवानिवृत्त कर्मी केके सिंह की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि शहडोल की ट्रायल कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। उस मामले में गवाहों के बयान हो गए हैं, अब केवल ट्रायल कोर्ट को संज्ञान लेकर आदेश पारित करना है। ट्रायल कोर्ट अनावेदकों को बार-बार मोहलत प्रदान कर रही है, इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।
ननि की उपायुक्त व अन्य के खिलाफ परिवाद पंजीबद्ध
भोपाल की प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी लक्ष्मी वास्कले की अदालत ने नगर निगम जबलपुर की उपायुक्त अंजु सिंह ठाकुर सहित अन्य के खिलाफ परिवाद पंजीबद्ध कर सभी को समन जारी कर 19 अप्रैल को उपस्थित होने के निर्देश दिए। सभी पर परिवादी शशिकांत सोनी को दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाने का आरोप है। परिवादी शशिकांत सोनी की ओर से अधिवक्ता साजिद अली ने बताया कि अनावेदक शिवराज चौधरी की पत्नी पूर्व में नगर निगम में अधिकारी रही हैं।
परिवादी का उससे विवाद हो गया था। इसलिए दुर्भावनावश पति के साथ मिलकर रिश्तेदार प्रवीण के जरिए षड्यंत्र रचकर दुष्कर्म के झूठे प्रकरण में फंसाया। भोपाल के पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई। बाद में भोपाल की सीजेएम कोर्ट ने मामला झूठा पाते हुए खारिज कर दिया। अब परिवादी ने झूठा फंसाने के मामले में उक्त सभी के खिलाफ परिवाद पेश किया है।
Created On :   16 April 2025 4:51 PM IST