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Jabalpur News: लापरवाही-सीयूईटी में पंजीयन ही कराना भूल गया रादुविवि

- देश भर के छात्रों को मिलता रादुविवि में प्रवेश का अवसर
- पंजीयन के लिए अंतिम तारीख 24 मार्च थी लेकिन रादुविवि प्रशासन इसमें पंजीयन कराना भूल गया।
- रादुविवि ने पिछले वर्ष पंजीयन करवाया था जिसमें देशभर के लगभग 4000 छात्रों ने पंजीयन करवाया था
Jabalpur News: प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभावान छात्रों को अध्ययन का अवसर प्राप्त होता है तथा विश्वविद्यालयों को प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार पर अतिरिक्त व्यय नहीं करना पड़ता। विश्वविद्यालयों को इसके लिए सीयूईटी में पंजीयन कराना होता है।
इस वर्ष पंजीयन के लिए अंतिम तारीख 24 मार्च थी लेकिन रादुविवि प्रशासन इसमें पंजीयन कराना भूल गया। ऐसा माना जाता है कि कॉमन प्लेटफाॅर्म का उपयोग करने से छात्रवृत्ति, आगामी कक्षाओं में प्रवेश आदि के लिए ऑनलाइन मोड में डेटा उपलब्ध रहेगा, जिसका उपयोग आगामी कार्यवाही में हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने राज्यपाल की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति की स्पष्ट अनुशंसाओं की न केवल अनदेखी की, बल्कि उसे नजरअंदाज करने का काम किया।
बता दें कि समन्वय समिति की 101वीं बैठक में बिंदु क्रमांक-9 के तहत यह स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों को प्रवेश के प्रथम चरण में सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश सुनिश्चित करना होगा। हैरानी की बात यह है कि रादुविवि ने इस वर्ष सीयूईटी के लिए पंजीयन तक नहीं कराया।
रादुविवि ने पिछले वर्ष पंजीयन करवाया था जिसमें देशभर के लगभग 4000 छात्रों ने पंजीयन करवाया था, परंतु इस वर्ष मार्च में समाप्त हो चुकी अंतिम तिथि के बाद भी कोई प्रयास नहीं किया गया। छात्रों और अभिभावकों में इस निर्णय को लेकर भारी आक्रोश है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नेक) द्वारा ए ग्रेड प्राप्त करने वाला यह विश्वविद्यालय इस वर्ष हजारों प्रतिभाशाली छात्रों को प्रवेश से वंचित कर चुका है।
विश्वविद्यालय में प्रवेश समिति का गठन हो चुका है, अब प्रवेश संबंधी निर्णय समिति के सदस्य ही करेंगे। सीयूईटी में पंजीयन क्यों नहीं कराया गया, इस बात की जानकारी नहीं है।
- डॉ. राजेंद्र कुमार बघेल, कुल सचिव, रादुविवि
पहले भी टाले गए कई फैसले
पीएचडी प्रवेश परीक्षा के साल में दो बार संचालन का मामला हो या बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था, विश्वविद्यालय पूर्व में भी समन्वय समिति के निर्णयों को टालता रहा है। परंतु इस बार यह चूक सीधे छात्रों के भविष्य को प्रभावित करने वाली है। यदि समय रहते विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्थिति का संज्ञान नहीं लिया और सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो न केवल उसकी शैक्षणिक छवि प्रभावित होगी, बल्कि वह छात्रों के बीच अपना भरोसा भी खो बैठेगा।
Created On :   16 April 2025 1:48 PM IST