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हाईकोर्ट ने पूछा- गुमटी मामले में सीबीआई जांच की अनुशंसा पर क्या कार्रवाई हुई
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा कि डायरेक्टर जनरल डिफेन्स इस्टेट द्वारा गुमटी मामले में सीबीआई जांच की अनुंशसा पर क्या कार्रवाई की गई है। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सीबीआई से इस संबंध में निर्देश लेकर जानकारी पेश करने के लिए उन्हें समय दिया जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने जबलपुर केन्ट बोर्ड के पूर्व सीईओ के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 29 जुलाई को नियत की गई है।
जांच और अन्य कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी कौन
केन्ट बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा नायर ने बताया कि प्रिंसिपल डायरेक्टर डिफेन्स इस्टेट की ओर से प्रांरभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर 11 जुलाई 2019 को जबलपुर केन्ट बोर्ड के पूर्व सीईओ को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। शोकॉज नोटिस का जवाब 15 दिन में पेश करने का निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ता आबिद हुसैन ने आपत्ति पेश करते हुए कहा कि केन्ट बोर्ड के सीईओ की नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी केन्द्र सरकार है। इसलिए प्रिंसिपल डायरेक्टर डिफेंस इस्टेट को उनके खिलाफ जांच करने का अधिकार नहीं है। युगल पीठ ने केन्ट बोर्ड के वकीलों से पूछा कि केन्ट बोर्ड के सीईओ के खिलाफ जांच और अन्य कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी कौन है। इस संबंध में कानूनी प्रावधान पेश किए जाए। युगल पीठ ने यह जानकारी भी पेश करने के लिए कहा है कि पूर्व सीईओ के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई।
यह है मामला
केन्ट बोर्ड द्वारा 45 गुमटियों के निर्माण के खिलाफ कटंगा निवासी नरेश भाटिया, राजेश शर्मा और सदर निवासी आबिद हुसैन ने जनहित याचिका दायर की है। जांच के दौरान पाया गया कि केन्ट बोर्ड ने नगर निगम की जमीन पर गुमटियों का निर्माण किया है। इसके साथ ही गुमटी आवंटन में भी अनियमितताएं की गई है। सुनवाई के दौरान केन्ट बोर्ड द्वारा स्वयं गुमटियां हटा ली गई थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई को दस्तावेज सौंपकर यह पूछकर बताने के लिए कहा था कि क्या वह इस मामले की जांच कर सकती है।
सीबीआई नहीं कर सकती जांच
असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन ने युगल पीठ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार सीबीआई ऐसे मामले की जांच नहीं कर सकती है। सीबीआई केवल ऐसे मामलों की जांच कर सकती है, जहां पर आर्थिक अपराध हुआ हो। यह मामला विभागीय लापरवाही का है।
Created On :   13 July 2019 1:41 PM IST