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ई-टेंडर घोटाले के पांच आरोपियों की जमानत खारिज-सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर । हाईकोर्ट ने प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले में मप्र इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के ओएसडी नंदकिशोर ब्रम्हे, आस्मो सॉल्यूशन के एमडी विनय चौधरी और वरूण चतुर्वेदी, मार्केटिंग डायरेक्टर सुमित गोलवरकर और एंटारस सिस्टम्स के वाइस प्रेसीडेन्ट मनोहर एमएन की जमानत खारिज कर दी है। जस्टिस राजीव दुबे की एकल पीठ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप है। इसलिए उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
निजी कंपनियों के साथ मिलकर टेंडर में हेराफेरी की
ईओडब्ल्यू के अनुसार मप्र इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम की ओर से विभिन्न शासकीय विभागों के ई-टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जाती थी। मप्र इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के अधिकारी और निजी कंपनियों के साथ मिलकर टेंडर में हेराफेरी कर अपात्र लोगों को फायदा पहुंचा रहे थे। ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद मप्र इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के ओएसडी नंदकिशोर ब्रम्हे, आस्मो सॉल्यूशन के एमडी विनय चौधरी और वरूण चतुर्वेदी, मार्केटिंग डायरेक्टर सुमित गोलवरकर और एंटारस सिस्टम्स के वाइस प्रेसीडेन्ट मनोहर एमएन के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, आईटी एक्ट की धारा 66 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। भोपाल की ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत से जमानत निरस्त होने के बाद पांचों आरोपी जेल में है।
याचिका में कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है
पांचों आरोपियों की ओर हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका पेश की गई। याचिका में कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। ईओडब्ल्यू की ओर से अधिवक्ता हरजस सिंह छावड़ा ने तर्क दिया कि आरोपी लंबे समय से सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर बिड्स को बदलने का काम करते है। इसकी वजह से अपात्र लोगों को फायदा पहुंचता था। ईओडब्ल्यू मामले की जांच कर रही है, यदि आरोपियों को जमानत का लाभ दिया गया तो वे सबूतों को नष्ट कर सकते है। इसलिए आरोपियों की जमानत निरस्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने पांचों आरोपियों की जमानत निरस्त कर दी है।
Created On :   26 Jun 2019 1:43 PM IST