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छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में ब्लड डोनर के लिए पीने का पानी तक का इंतजाम नहीं
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। जिला अस्पताल की पैथालॉजी और ब्लड बैंक बदहाल स्थिति में है। यहां न तो मरीजों की जांच के लिए जरुरी किट है और न ही ब्लड डोनर के लिए पीने का पानी। हालात यह है कि मरीजों की ओपीडी पर्ची पर लिख दिया जा रहा है कि किट खत्म होने की वजह से जांच संभव नहीं है। निजी लैब में जाकर जांच कराएं। जिसको लेकर आए दिन पैथालॉजी में विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। जिला अस्पताल में रोजाना एक हजार से बारह सौ मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इनमें से लगभग डेढ़ से दौ सौ मरीजों को सीबीसी, थाइराइड या लिपिड प्रोफाइल जांच के लिए चिकित्सक सलाह देते है। अस्पताल में किट न होने की वजह से मरीजों को लैब से लौटाया जा रहा है।
जांच के लिए निजी लैब की सलाह
अस्पताल में सीबीसी, थाइराइड और लिपिड प्रोफाइल की जांच नहीं हो रही है। यहां पदस्थ कर्मचारी मरीजों को निजी लैब में जाने की सलाह देकर लौटा देते हैं। अस्पताल में होने वाली नि:शुल्क जांच के मरीजों को निजी लैब में दो से पांच सौ रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
निजी लैब कर्मी अस्पताल में ले रहे सेम्पल
अस्पताल में अधिकांश जांचें बंद होने का पूरा फायदा निजी लैब संचालकों द्वारा उठाया जा रहा है। वार्ड में भर्ती मरीजों के ब्लड सेम्पल लेने दिन भर निजी लैब के कर्मचारी अस्पताल में घूमते रहते हैं। जबकि शासकीय नियम के मुताबिक निजी लैब के कर्मचारी सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज का सेम्पल नहीं ले सकते।
ब्लड बैंक में पानी तक नहीं, बेहोश हो रहे डोनर
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक के एसी और कूलर बंद पड़े हैं। गर्मी के दिनों में रक्तदान करने वाले लोग बेहोश होकर गिर रहे हैं। पीने के लिए पानी तक नहीं है। यूं तो ब्लड बैंक में वॉटर कूलर लगा हुआ है, लेकिन उसमें कभी पानी नहीं होता।
क्या कहते हैं अधिकारी
मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों द्वारा अधिक जांचें लिखी जा रही हैं। जिसकी वजह से जांच किट खत्म हो जाती है। जिला अस्पताल का बजट सीमित है। जिससे खरीदी गई जांच किट कुछ दिन ही चल पाती है। व्यवस्था बनाई जा रही है।
- डॉ.सुशील दुबे, आरएमओ, जिला अस्पताल
Created On :   3 April 2019 8:14 AM GMT