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मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कराए केंद्र व राज्य सरकार -वेंकेया नायडू
डिजिटल डेस्क,नागपुर । शिक्षा प्रणाली में बदलाव का आव्हान करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारतीय संस्कार के अनुरुप शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा-मातृभाषा हमारी आंखें जैसी होती है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकार इस मामले में ध्यान दे। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से निर्धारित कराये जानेवाले पाठ्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता है। गुरुवार को सुरेश भट सभागृह रेशमबाग में अखिल भारतीय प्राच्य विद्या परिषद का शुभारंभ हुआ। उपराष्ट्रपति नायडू इसी अवसर पर बोल रहे थे।
संस्कृत भाषा के संवर्धन पर भी दिया जोर
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी, पालकमंत्री डॉ.नितीन राऊत, महापौर संदीप जोशी, परिषद के अध्यक्ष गौतम पटेल, महासचिव प्रो. सराेजा भाटे, स्थानीय सचिव प्रो.मधुसूदन पेन्ना, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.सी.जी विजयाकुमार इस मौके पर प्रमुखता से उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता को चुनौती देने वाले प्रयास हाेते रहे है। आक्रमणकारियों ने भारतीय संस्कृति को भी नुकसान पहुंचाने का काम किया। लेकिन यह संस्कृति समृद्ध है। संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। भाषा व भावना एक साथ चलती है। भाषा हमारे प्रेम का परिचय देती है। भारतीय इतिहास के बारे में बच्चों को शिक्षा देने की आवश्यकता है।
भारतीय व भारतीयता की जानकारी जरूरी-गडकरी
नितीन गडकरी ने कहा कि नए दौर में शिक्षा के पाठ्यक्रमों में विश्व स्तर की जानकारी होना तो आवश्यक है लेकिन भारतीय व भारतीयता की जानकारी भी आवश्यक है। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। महापुरुषों के कार्य व दर्शन राष्ट्र विकास के लिए दिशा प्रेरक है। उपराष्ट्रपति नायडू बेंगलुरु से यहां पहुंचे थे। विमानतल पर उनका स्वागत गडकरी, राऊत व जोशी ने किया। उपराष्ट्रपति ने राष्टीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के पुराने नेताओं से भी चर्चा की। संघ विचारक मा.गो वैद्य को 97 वर्ष की उम्र होने पर उत्तम स्वास्थ्य की शुभकामनाएं दी। इस मौके पर पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
Created On :   10 Jan 2020 9:26 AM GMT