डीबीटी–बीआईआरएसी समर्थित स्टार्ट अप ब्लैकफ्रॉग प्रौद्योगिकीप्रत्येक व्यक्ति तक टीका पहुंचाने का प्रयास!
डिजिटल डेस्क | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय डीबीटी–बीआईआरएसी समर्थित स्टार्ट अप ब्लैकफ्रॉग प्रौद्योगिकी प्रत्येक व्यक्ति तक टीका पहुंचाने का प्रयास| डीबीटी-बीआईआरएसी से सहायता प्राप्त (समर्थित) स्टार्टअप ब्लैकफ्रॉग प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजीज) ने इम्वोलियो नाम से एक ऐसे उपकरण को विकसित किया है जो बैटरी से चलने वाला और कहीं भी ले जाए जा सकने वाला चिकित्सा स्तरीय प्रशीतक (मेडिकल-ग्रेड रेफ्रिजरेशन डिवाइस) है। यह उपकरण 12 घंटे तक पूर्व निर्धारित (प्रीसेट) तापमान को हर स्थिति में बनाए रखते हुए टीकाकरण की दक्षता में सुधार करता है। इस प्रकार यह उपकरण अंतिम लक्ष्य तक टीकों के सुरक्षित और कुशल परिवहन को सम्भव बनाता है। इम्वोलियो की क्षमता 2-लीटर है जिससे इसमें एक दिन के टीकाकरण अभियान के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप 30-50 तक टीके की शीशियों रख कर ले जाया जा सकता है। इस उपकरण (डिवाइस) में निरंतर तापमान निगरानी, स्थान की ट्रैकिंग, इसके चालू हालत में होने के संकेत, लाइव-ट्रैकिंग के माध्यम से मुख्यालय के साथ संचार सम्पर्क और बेहतर कवरेज के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े दर्ज करने की व्यवस्था का प्रबंध शामिल हैं।
ब्लैकफ्रॉग का आईएसओ-13485 प्रमाणित चिकित्सा उपकरणों निर्माता है। साथ ही इम्वोलियो को डब्ल्यूएचओ–पीक्यूएस ई003 मानकों के अनुसार अभिकल्पित (डिजाइन) किया गया है। इम्वोलियो की पेटेंट तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि प्रशीतित कक्ष (कोल्ड चैंबर) में रखी समस्त सामग्री को कड़ाई से तापमान नियंत्रित हवा में अच्छी तरह से सम्भाल कर रखा गया है। अंतर्निहित प्रशीतन तंत्र एक स्मार्ट पीआईडी (आनुपातिक समेकित व्युत्पन्न-प्रोपोर्शनल इंटीग्रल डेरीवेट) नियंत्रक के साथ ठोस-अवस्था में शीतलन है, जो हानिकारक प्रशीतकों के रिसाव अथवा या टीकों के आप में मिल जाने (क्रॉस-कन्टेमिनेशन) के खतरे के बिना सटीक तापमान बनाए रखना सुनिश्चित करता है। इसमें मोटर्स/कंप्रेसर या किसी भी चलने वाले हिस्से का न होना इसके कम रखरखाव के संचालन को सक्षम बनाती है। इम्वोलियो (Emvólio) का अनूठा डिजाइन एक समान शीतलता (कूलिंग) और न्यूनतम फ्रीज-थॉ चक्र बनाए रखने का वादा करता है।
खुले क्षेत्र में 12 घंटे तक 2 डिग्री सेल्सियस और 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान को सख्ती से निरंतर बनाए रखने की इस उपकरण की क्षमता के कारण इसका उपयोग टीकों और रक्त, सीरम और वायरल कल्चर जैसे अन्य सभी जैविक पदार्थों के वितरण और परिवहन के लिए एक माध्यम के रूप में किया जा रहा है। यह अनूठा प्रयास अंतिम लक्ष्य तक वैक्सीन को पहुंचाने की वर्तमान चुनौती को भी हल करता है क्योंकि वर्तमान में बर्फ से भरे डिब्बों (आइसबॉक्स), जिनमें तापमान के नियंत्रण और उसे एक समान बनाए रखने की कोई व्यवस्था ही नहीं है, का उपयोग किया जा रहा है। आइसबॉक्स में तापमान नियंत्रण और नियमन की व्यवस्था नहीं होने से टीकों के अचानक जम जाने या विगलित हो जाने की आशंका रहती है जिससे, जिससे तापमान के प्रति संवेदनशील टीके निष्प्रयोज्य/अप्रभावी हो जाते हैं।
इस स्टार्टअप को एसईईडी कोष के तहत बीआईआरएसी से अनुदान प्राप्त हुआ है। साथ ही अवधारणा के प्रमाण के विकास के लिए बीआईजी, एक स्थान से दूसरे स्थान तक टीकों की उपलब्धता की व्यवस्था (एंड-टू-एंड वैक्सीन ट्रेसेबिलिटी सिस्टम) विकसित करने के लिए बीआईपीपी और बायोनेस्ट इन्क्यूबेटरों के माध्यम से भी इस स्टार्ट अप का समर्थन किया गया है। ब्लैकफ्रॉग की उत्पादन क्षमता 1500 उप(करण यूनिट)/माह की है, और एम्वोलियो को अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से आवश्यक मंजूरी के साथ पूर्वोत्तर भारत में तैनात किया जा रहा है। अब तक, ब्लैकफ्रॉग ने भारत के 5 राज्यों में टीकों की अंतिम लक्षित स्थान तक सुरक्षित आपूर्ति के लिए 200 से अधिक वैक्सीन वाहक बेचे हैं। और अधिक जान्ज्कारी के लिए : डीबीटी/बीआईआरएसी के संचार प्रकोष्ठ से सम्पर्क करें ट्विटर पर @DBTIndia@birac_2012 www.dbtIndia.gov.in www.birac.nic.in जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बारे में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग में इसके विस्तार और अनुप्रयोग के माध्यम से भारत में जैव प्रौद्योगिकी इको सिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के साथ ही आगे बढ़ाता है।
Created On :   9 July 2021 2:43 PM IST