कालाबाजारी: महिला स्वसहायता समूहों से अधिक दाम में बिकवा रहे यूरिया

Black marketing: Urea is being sold at a higher price than womens self-help groups
कालाबाजारी: महिला स्वसहायता समूहों से अधिक दाम में बिकवा रहे यूरिया
छिंदवाड़ा कालाबाजारी: महिला स्वसहायता समूहों से अधिक दाम में बिकवा रहे यूरिया

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। रबी सीजन में यूरिया की मांग बढ़ते ही कालाबाजारी की शिकायतें मिलना शुरू हो गई है। खाद कारोबार से जुड़े लोगों ने कालाबाजारी के लिए गांवों में सक्रिय महिला स्व सहायता समूहों को हथियार बनाया है। इन समूहों को आय बढ़ाने के लिए 330 रुपए प्रति बोरी की दर से यूरिया उनके गांव तक पहुंचाकर दी जा रही है। इस गोरखधंधे में किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) और एक निजी संगठन के प्रतिनिधि की खास भूमिका सामने आई है। इस मामले में कृषि विभाग ने पड़ताल शुरू कर दी है।

जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर राजाखोह गांव में सक्रिय एक महिला स्वसहायता समूह को एक एनजीओ के माध्यम से दो दिन पहले 300 बोरी यूरिया उपलब्ध कराई गई। भंडारण के लिए भवन नहीं मिलने पर आंगन में ही यूरिया का ढेर लगा दिया गया। समूह की महिलाओं को बताया गया कि भाड़ा व अन्य खर्च सहित प्रति यूरिया के दाम 330 रुपए देने होंगे। एमआरपी से ज्यादा राशि लेना न्यायसंगत नहीं है। मामले की जानकारी कृषि विभाग को दी गई तो कृषि विभाग ने गांव जाकर यूरिया के स्टॉक का पंचनामा तैयार किया। अब इस मामले में महिला स्व सहायता समूह की सदस्य, एफपीओ और उर्वरक कंपनी के डीलर से पूछताछ की जानी है।

समूह के नाम पर गोरखधंधा

महिला स्वसहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर अवैधानिक कारोबार से जोडऩे में एक कथित समाजसेवी की अहम भूमिका बताई जा रही है। महिलाओं ने बताया कि एक एनजीओ का प्रतिनिधि महिला समूहों के गठन से लेकर अन्य गतिविधियों में मुख्य भूमिका निभाता है। इसी प्रतिनिधि ने उन्हें यूरिया का व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया। यह यूरिया बनगांव के एक किसान उत्पादक समूह के माध्यम से उन्हें उपलब्ध कराई गई। यूरिया के दाम अधिक होने के कारण किसान खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं।

एनजीओ प्रतिनिधि की सफाई

कथित एनजीओ के प्रतिनिधि का कहना है कि क्षेत्र में उनके संगठन ने महिलाओं के समूह के तैयार किए हैं। ये महिलाएं एफपीओ कंपनी की शेयर धारक हैं। कंपनी के पास खाद बिक्री का लाइसेंस है। किसानों को गांव में ही यूरिया मिल जाए इसलिए एक साथ यूरिया भेज दिया गया। भाड़ा सहित प्रति यूरिया 330 रुपए में पड़ रही है। जो किसान यूरिया लेने के इच्छुक हैं उनके आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज लेकर पीएसओ मशीन में अंगूठा लगाकर यूरिया बिक्री की जानी थी लेकिन कृषि विभाग के दल यूरिया का स्टाक सीज कर लिया। आगे क्या होगा पता नहीं।

इनका कहना है

महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से यूरिया कारोबार की जानकारी मिलते ही एक दल का गठन कर जांच के लिए भेजा गया। जांच दल ने यूरिया का पंचनामा तैयार कर मामले से जुड़े से सभी लोगों को बयान दर्ज कराने समय दिया है। बयान एवं अन्य तथ्यों के आधार पर अगली कार्रवाई तय की जाएगी।
जितेंद्र कुमार सिंह, उप संचालक कृषि।

Created On :   3 Nov 2022 7:37 AM GMT

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