वीर शासन जयंती पर आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनिश्री सुव्रत सागर ने दी लोगों को सीख

Acharya Vidyasagars disciple on his birth anniversary, Munishree Suvrat Sagar taught people
वीर शासन जयंती पर आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनिश्री सुव्रत सागर ने दी लोगों को सीख
शहडोल वीर शासन जयंती पर आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनिश्री सुव्रत सागर ने दी लोगों को सीख

डिजिटल डेस्क,शहडोल। संसार में सबसे बड़ी कला बोलने की है। बोलने के कारण ही रामायण में इतनी बड़ी दुखद घटनाओं का सामना करना पड़ा और महाभारत जैसे महायुद्ध हुए। आज प्रत्येक घर-घर में बोलने के कारण कलह हो रहे हैं। हर जगह जहां भी कलह होती है, उसमें बोलना ही मूल में होता है। इसलिए हम अपने बोलने का संयम रखकर अपने जीवन का श्रृंगार कर सकते हैं। जब बोलने से महाभारत हो सकता है तो बोलने के द्वारा महाभारत रुक भी सकता है। इसलिए हमें सोच समझकर बोलना चाहिए। उक्ताशय की बात 1008 श्री नमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सुयोग शिष्य बुंदेली संत मुनिश्री सुव्रतसागर महाराज ने गुरुवार को वीर शासन जयंती पर जन समुदाय को सम्बोधित करते कही। उन्होंने कहा कि जिन-जिन लोगों को अपना कल्याण करना हो वे लोग संत समागम करके संतो की वाणी सुन कर अपना कल्याण कर सकते हैं। संत समागम किए बिना और संतों की वाणी सुने बिना किसी का कल्याण संभव नहीं है। आज के दिन महावीर स्वामी ने अपने भक्तों को अपनी दिव्य देशना के माध्यम से अपना कल्याण करने का रास्ता बताया था। इसलिए आज के दिन वीर शासन जयंती मनाई जाती है।

उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति साधना तो करता है किंतु वह भक्तों को बोल बोलकर शिक्षा नहीं देता है, तब तक वह अपना शासन नहीं चला सकता। अर्थात अपना शासन चलाने के लिए बोलना बहुत जरूरी है। क्योंकि बोलने वाले का कोयला भी बिक जाता है, किंतु बिना बोलने वाले का हीरा खरीदने में भी लोग शंका करते हैं। इसलिए अपने जीवन का कल्याण करना चाहते हैं तो संत समागम करके और उनके उपदेशों को अपनाकर अपना कल्याण कर सकते हैं। 

 

Created On :   16 July 2022 6:52 PM IST

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