New Delhi News: पाशा पटेल ने कहा - अब ईंधन के रूप में कोयले का विकल्प हो सकता है बांस
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- प्रतिदिन 5,90,000 मीट्रिक टन कार्बन छोड़ती हैं बिजली इकाईयां
- ईंधन के रूप में कोयले का विकल्प हो सकता है बांस
New Delhi News : महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष और पर्यावरण एवं सतत विकास के लिए मुख्यमंत्री टास्क फोर्स की कार्यकारी समिति के प्रमुख पाशा पटेल ने सार्क देशों में सतत विकास के साधन के रूप में बांस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बांस बिजली उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में कोयले का विकल्प हो सकता है।पटेल राजधानी दिल्ली में ‘जस्ट ट्रांजिशन टू नेट जीरो- रोल ऑफ बेम्बू इन द सार्क रीजन’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि भारत में सभी सरकारी ताप विद्युत उत्पादन इकाईयां प्रतिदिन 5,90,000 मीट्रिक टन कार्बन वायुमंडल में छोड़ती हैं। ऐसे में बिजली उत्पादन के लिए बांस को हम कोयले के एक विकल्प के रूप में अपना सकते हैं। उन्होंने सस्टेनेबल रिसोर्स के रूप में बांस की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया।
नेट-जीरो लक्ष्य पाने बांस का इस्तेमाल जरूरी
एमएसएमई क्लस्टर फाउंडेशन के अध्यक्ष और भारत सरकार में पूर्व सचिव रहे अजय शंकर ने कहा कि विकसित देशों मंत बदलाव की गुंजाइश काफी सीमित है, क्योंकि उन्होंने पहले से ही कार्बन-इंटेंसिव राह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके मुकाबले दक्षिण एशियाई विकासशील देशों के पास अधिक सस्टेनेबल नजरिया अपनाने का अवसर है। सार्क डेवलपमेंट फंड की सोशल विंडो की सहायक निदेशक सुश्री रिंजी पेम ने बांस का लाभ उठाकर नेट-जीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सार्क देशों के भीतर सहयोगी अवसरों को विकसित करने पर जोर दिया।
Created On :   17 Dec 2024 8:38 PM IST