New Delhi New: सनातनी ग्रंथों का पश्चगामी बताकर खारिज करना विकृत औपनिवेशिक मानसिकता - उपराष्ट्रपति
- हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटना होगा
- सनातनी ग्रंथों का पश्चगामी बताकर खारिज करना विकृत औपनिवेशिक मानसिकता
New Delhi News. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हम सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं, जो कई मायनों में अद्वितीय और बेजोड़ है। लेकिन विडंबना और पीड़ा की बात है कि इस देश में सनातन और हिंदू का उल्लेख करना समझ से परे हैरान करने वाली प्रतिक्रियाएं पैदा करता है। शुक्रवार को वे जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित 27वें अंतरराष्ट्रीय वेदांत सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन शब्दों की गहराई, गहरे अर्थ को समझने के बजाय लोग तुरंत प्रतिक्रिया करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आध्यात्मिकता की इस भूमि में कुछ लोग वेदांत और सनातनी ग्रंथों को पश्चगामी मानते हैं। और वे ऐसा बिना जाने-समझे कर रहे हैं, यहां तक कि उन्होंने इन्हें देखा भी नहीं है। उन्हें पढ़ना तो दूर की बात है। यह इंकार अक्सर विकृत औपनिवेशिक मानसिकता, हमारी बौद्धिक विरासत की अकुशल समझ से उपजी है। ये तत्व एक व्यवस्थित तरीके से एक भयावह तरीके से कार्य करते हैं। उनकी सोच घातक है।
धनखड़ ने अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटना होगा। हमें अपनी दार्शनिक विरासत के प्रति सजग रहना होगा, क्योंकि दुनिया तेजी से आपस में जुड़ती रही है। उन्होंने वेदांतिक ज्ञान तक पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
Created On :   3 Jan 2025 9:30 PM IST