New Delhi News: पीएम के वर्धा दौरे को लेकर कांग्रेस का तंज, गांधी और गोडसे के बीच कहां खड़े है प्रधानमंत्री

पीएम के वर्धा दौरे को लेकर कांग्रेस का तंज, गांधी और गोडसे के बीच कहां खड़े है प्रधानमंत्री
  • महाराष्ट्र में रोजाना 7 किसान कर रहे आत्महत्या
  • पीएम के वर्धा दौरे को लेकर कांग्रेस का तंज
  • महाराष्ट्र में रोजाना 7 किसान कर रहे आत्महत्या

New Delhi News : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को महाराष्ट्र के वर्धा दौरे पर थे। प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर कांग्रेस ने उन पर तंज कसते हुए कुछ सवाल पूछे है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि गांधी और गोडसे के बीच वे कहां खड़े है। कांग्रेस नेता रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री गुरुवार को वर्धा दौरे पर है। उन्होंने तीन सवालों के जवाब अवश्य देने चाहिए। किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? वन अधिकार कानून को लागू करने के मामले में भाजपा ने आदिवासियों को निराश क्यों किया है? गांधी और गोडसे के बीच प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?

रमेश ने आगे कहा कि वर्धा वह शहर है जहां कभी महात्मा गांधी रहते थे। प्रधानमंत्री की पार्टी आज महात्मा के आदर्शों पर खतरनाक ढंग से हमला कर रही है। उनके कुछ नेताओं ने महात्मा के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उनका मजाक उड़ाया है। रमेश ने दावा किया कि भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि वे गोडसे और महात्मा के बीच चयन करने में असम र्थ हैं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के पास अपनी पार्टी के कार्यों के बचाव में कोई तर्क है। गांधी और गोडसे के बीच प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?

महाराष्ट्र में रोजाना 7 किसान कर रहे आत्महत्या

रमेश ने दावा किया कि महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन 7 किसान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ से नहीं, बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। रमेश के अनुसार पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों ने आत्महत्या की है। साथ ही पिछले साल 60 प्रतिशत जिलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली।

रमेश ने कहा कि वर्ष 2006 में पारित वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के कार्यान्वयन में लगातार बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे है। महाराष्ट्र में कुल फाइल किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 52 प्रतिशत मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5 प्रतिशत है। उन्होंने पूछा कि महाराष्ट्र में लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उनका मजाक उड़ाया है। उन्हें तीन सवाल पूछे आज वर्धा जा रहे है। मोदी पर महाराष्ट्र में भाजपा सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों को सुविधाएं देने में क्यों विफल रही है?

Created On :   20 Sept 2024 4:05 PM GMT

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