अनदेखी से बदहाली: बंद होने की कगार पर नागपुर मेडिकल हास्पिटल का कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र

बंद होने की कगार पर नागपुर मेडिकल हास्पिटल का कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र
  • पद भरती नहीं होने से कर्मचारियों का टोटा
  • 40 साल पुराने केन्द्र में 2 ही कर्मचारी
  • दिव्यांगों के लिए जरुरी अंग तैयार करने में दिक्कत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिव्यांगता को मात देकर उनमें आत्मविश्वास जगाने के लिए शासकीय चिकित्सा अस्पताल व महाविद्यालय (मेडिकल) में कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र तैयार किया है। मध्य भारत के सरकारी अस्पताल में बना यह पहला केंद्र है। लेकिन अब सरकार व प्रशासन की उदासीनता के चलते यह केंद्र बंद पड़ने की अवस्था आ चुकी है।

एक समय थे 42 कर्मचारी अब केवल 2 : सूत्रों के अनुसार मेडिकल के कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र में एक समय में यहां 20 विशेषज्ञ हुआ करते थे, अब केवल 2 ही विशेषज्ञ है। बताया गया कि सरकार यह केंद्र आगे चलाने की स्थिति में नहीं है। कुछ साल पहले यहां कुशल व अकुशल मिलाकर 42 कर्मचारी थे। उस समय यहां दुर्घटना में व पोलियो के कारण अंग गंवाने वाले मरीजों के लिए कृत्रिम अंग तैयार किये जाते थे। बताया गया कि यह केंद्र करीब 40 साल पुराना है। तब से अब तक अनेक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके है। सरकार ने भर्ती नियमों में बदलाव के बाद यहां नये पदों पर भर्ती नहीं हो पायी। कर्मचारी कम और काम ज्यादा होने से दिव्यांगों के लिए जरुरी कृत्रिम अंग समय पर तैयार नहीं हाे पा रहे है। परिणामस्वरुप दिव्यांगों को 4 से 6 महीने तक इंतजार करना पड़ता है। किसी को हाथ के लिए तो कोई पैर के लिए इंतजार कर रहा है।

मशीनें व अत्याधुनिक तकनीक का अभाव : सूत्रों ने बताया कि सरकारी स्तर पर मुंबई, औरंगाबाद और नागपुर में केंद्र है। इनमें से अंग बनाने का काम मुंबई व नागपुर मेडिकल में है। एक पैर बनाने के लिए 10 से 12 दिन लगते है। इसके लिए एक ही विशेषज्ञ होने से सभी दिव्यांगों के लिए जरुरी अंग तैयार करने में दिक्कत आ रही है। केंद्र पुराने ढर्रे पर ही चलाया जा रहा है। मशीनें व अत्याधुनिक तकनीक के अभाव में कई समस्याएं आ रही है। दिव्यांगों के लिए कैलिपर, स्पाइनल बेस, मोल्डेड शूज आदि बनाये जाते है। केंद्र के शुरुआती दिनों में जैव अभियंता पद था। वहीं प्राेस्थेटिक व ऑर्थोटिक विशेषज्ञाें के पद थे। चमड़ी का काम करनेवाले, पैडिंग कर्मचारी आदि पद थे। केंद्र अस्थिव्यंग्य विभाग अंतर्गत कार्यरत है। मेडिकल में अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है। लेकिन इस केंद्र को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी जा रही। इस कारण गरीब व जरुरतमंद मरीजों को कृत्रिम अंग समय पर नहीं मिल पा रहे है।

Created On :   10 Aug 2024 9:11 AM GMT

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