मांगों को लेकर बवाल: हम दोनों हैं जुदा-जुदा : जूनी पेंशन संगठन का 29 अगस्त की हड़ताल से किनारा

हम दोनों हैं जुदा-जुदा : जूनी पेंशन संगठन का 29 अगस्त की हड़ताल से किनारा
  • 1 नवंबर 2005 के बाद ज्वाइन कर्मचारियों को जूनी पेंशन की मांग पर अटल
  • नई संशोधित पेंशन के लिए हड़ताल में हमारा संगठन सहभागी नहीं
  • सरकार ने यूपीएस की घोषणा कर दी, अब हड़ताल का कोई औचित्य नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जूनी पेंशन योजना समेत अन्य मांगों को लेकर राज्य में 29 अगस्त से बेमियादी हड़ताल की जाएगी। महाराष्ट्र राज्यसेवा राजपत्रित अधिकारी महासंघ से संलग्न विविध कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल में सहभागी होने का निर्णय लिया है। आंदोलन का अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी समर्थन किया है। जबकि जूनी पेंशन संगठन ने हड़ताल से किनारा कर लिया है। संगठन का दावा है कि हम 1 नवंबर 2005 के बाद सेवा में दाखिल हुए कर्मचारियों को जूनी पेंशन पूर्ववत लागू करने की मांग पर अटल है। जूनी पेंशन की मांग पर आंदोलन कर सरकार के साथ बातचीत में अपनी मांगों से पीछे हटकर समझौता करना हमें कदापि मंजूर नहीं है। हमारा संगठन ओपीएस की मांग पर अड़ा है। सरकार ने यूपीएस की घोषणा कर दी है। तब हड़ताल करने का कोई औचित्य नहीं है।

फैमिली पेंशन व ग्रैच्युटी में संशोधन की चाहत : जूनी पेंशन संगठन के जिलाध्यक्ष सचिन इंगोले का मानना है कि 29 अगस्त की बेमियादी हड़ताल जूनी पेंशन की मांग से ज्यादा फैमिली पेंशन व ग्रैच्युटी में संशोधन की चाहत में की जा रही है। हमारा संगठन इस बात से सहमत नहीं है। हम जूनी पेंशन चाहते हैं। उसे मनवाने के लिए हमारा संघर्ष जारी है।

मार्च 2023 की हड़ताल का बुरा अनुभव : जूनी पेंशन संगठन के जिला महासचिव पुरुषोत्तम हटवार ने कहा कि मार्च 2023 की हड़ताल का बूरा अनुभव रहा। राज्य के सभी कर्मचारियों ने 7 दिन हड़ताल करने पर कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने मूल मुद्दे से हटकर अन्य मांगों पर समझौता कर हड़ताल वापस ले ली गई। इस बात से कर्मचारियों को संगठनों के नेताओं से विश्वास उठ गया है। केंद्र सरकार ने यूपीएस की घोषणा कर दी है। 29 अगस्त की हड़ताल के मुद्दे लगभग उसी से मिलते-जुलते हैं। राज्य सरकार भी केंद्र सरकार की यूपीएस नीति लागू करने की हामी भरकर हड़ताल की हवा निकाल दी है। उसके बावजूद हड़ताल पर जाने की जीद आम इंसान की समझ से बाहर है।

ओपीएस के लिए 15 सितंबर को प्रथम राज्य अधिवेशन : महाराष्ट्र राज्य जूनी पेंशन संगठन यानी ओपीएस का पहला राज्यस्तरीय अधिवेशन 15 सितंबर को शिर्डी में होने जा रहा है। 1 नवंबर 2005 से पहले सेवा में दाखिल कर्मचारियों को पेंशन का जो लाभ मिलता है, वैसे ही लाभ बाद में सेवा में दाखिल हुए कर्मचारियों को मिलने की संगठन वकालत करता है। अधिवेशन में जो जूनी पेंशन लागू करेगा, उसी को मतदान करने का नारा बुलंद किया जानेवाला है। अपनी मांग मनवाने के लिए सभी कर्मचारियों ने अधिवेशन में सहभागी होने का संगठन के नागपुर विभाग अध्यक्ष अनिल वाकड़े ने आह्वान किया है।

सुधारित पेंशन के लिए हड़ताल दुर्भाग्य : जूनी पेंशन संगठन के शहर अध्यक्ष मंगेश धाइत ने कहा कि सुधारित पेंशन के लिए हड़ताल करना दुर्भाग्य है। राजस्थान में कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार की यूपीएस का तीव्र विरोध किया है। महाराष्ट्र में कर्मचारी आंदोलन का नेतृत्व करनेवाले संगठन सुधारित पेंशन के लिए हड़ताल का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश समान राज्यों में जूनी पेंशन लागू की जा सकती है। वहीं महाराष्ट्र के कर्मचारी संगठन सुधारित पेंशन के लिए हड़ताल कर रहे हैं। कर्मचारी आंदोलन के लिए खतरे की घंटी है।

क्या है यूपीएस, ओपीएस : यूपीएस और ओपीएस दोनों ही पेंशन स्कीम है। दोनों स्कीम में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन का प्रावधान है। यूपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट से ठीक पहले की अंतिम बेसिक सैलेरी के साथ महंगाई भत्ते का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर दिया जाता है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीए में रिटायरमेंट से पहले की 12 महीने की बेसिक सैलेरी और महंगाई भत्ते का जो औसत बनेगा वही पेंशन के तौर पर दिया जाएगा। यूपीएस में कर्मचारियों को पेंशन फंड में अपना योगदान देना होगा। ओपीएस में कर्मचारियों को पेंशन फंड में कोई योगदान देने की आवश्यकता नहीं है। यूपीएस में कम से कम 25 वर्षों तक सर्विस के बाद ही तय फॉर्मूले के तहत सरकारी कर्मचारी पेंशन के हकदार होंगे। ओपीएस में केंद्रीय कर्मचारी 20 साल की नौकरी के बाद ही पेंशन पाने का हकदार हो जाता है।


Created On :   27 Aug 2024 2:15 PM GMT

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