जनजागरण जरूरी: रक्तदान की जिम्मेदारी से दूर हैं शहर के 75 फीसदी सरकारी दफ्तर

रक्तदान की जिम्मेदारी से दूर हैं शहर के 75 फीसदी सरकारी दफ्तर
  • 25 से संपर्क करने पर 7 होते हैं शिविर के लिए तैयार
  • सरकारी दफ्तरों में नहीं मिलता है प्रतिसाद
  • कोविड के बाद कम हुआ रक्तदान के प्रति दफ्तरों का रुझान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोविड त्रासदी ने केवल लोगों की जीवनयात्रा ही समाप्त नहीं की, बल्कि जो घटनाएं हुई उनके कारण लोग मानसिक आघात का शिकार भी हुए। कोविडकाल बीत गया, जनजीवन पटरी पर आया लेकिन त्रासदी की दहशत अब भी बरकरार है। सरकारी दफ्तरों द्वारा कोविडकाल के पहले रक्तदान शििवरों को जितना प्रतिसाद मिलता था, वह अब नहीं मिलता। सरकारी ब्लड बैंकों के अधिकारी दफ्तरों में जाकर संपर्क करते हैं। समुपदेशन कर रक्तदान का महत्व बताते है। लेकिन केवल 25 फीसदी दफ्तर प्रतिसाद देते हैं। उनमें भी रक्तदाताओं की संख्या अंगुलियाें पर गिनने जितनी होती है। नागपुर जिले में करीब 200 से अधिक सरकारी दफ्तर है। इनमें से केवल 50 दफ्तर ही रक्तदान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।

बीमारियों का कारण, रक्तदान से इंकार : मेयो व मेडिकल की ब्लड बैंक सूत्रों के अनुसार वे सालभर में करीब 50 सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं। उन्हें रक्तदान का महत्व समझाकर रक्तदान शिविरों का आयोजन करने प्रेरित करते है। इनमें से केवल 25 फीसदी यानि 12 या 13 सरकारी दफ्तरों का प्रतिसाद मिलता है। शहरी क्षेत्रों के दफ्तरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र के दफ्तरों में प्रतिसाद अच्छा मिलता है। सूत्रों ने बताया कि सरकारी दफ्तरों में आयोजित हाेनेवाले शिविरों में रक्तदान का प्रमाण नाममात्र होता है। बताया गया कि सरकारी दफ्तरों में कुछ कर्मचारियों को ब्लड प्रेशर, शुगर या अन्य तकलीफ होती है। जिसके कारण रक्तदान नहीं करते। वहीं कुछ कोविड त्रासदी के पीड़ित होते हैं। ऐसे लोग भी रक्तदान नहीं करते। कुछ कर्मचारी सरकारी की बजाय निजी ब्लड बैंकों में रक्तदान करना पसंद करते है। इन समस्याओं के चलते सरकारी दफ्तरों में रक्तदान शिविरों को प्रतिसाद नहीं मिलता। बताया गया कि विविध दफ्तरों को पत्र देकर शिविर आयोजन के लिए आग्रह किया जाता है। बावजूद विषय को गंभीरता से नहीं लिया जाता।

जिले में हर रोज 200 यूनिट रक्त की आवश्यकता : सूत्रों के अनुसार रक्त की किल्लत कम करनी हो तो सरकार ने रक्तदान के लिए नई नियमावली तैयार करनी चाहिए। इसमें स्पष्ट रुप से रक्तदान का निर्देश होना चाहिए। कमसे कम जो कर्मचारी अधिकारी स्वस्थ है, वह साल में एक-दो बार रक्तदान कर सकता है। यदि उसकी इच्छा हो तो चार बार भी रक्तदान कर सकता है। लेकिन जिला व राज्य स्तर पर सरकारी निर्देश नहीं होने से लोग रक्तदान करने से मना कर देते है। उनकी मानसिकता बदलने के लिए स्वास्थ्य जांच के साथ ही रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान आदि विषयों पर मार्गदर्शन शिविर व समुपदेशन के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास होना चाहिए। हर रोज जितने लोगों काे रक्त की आवश्यकता पड़ती है, उनमें से 10 फीसदी भी रक्तदाता नहीं होते। उन्होंने कभी भी रक्तदान नहीं किया होता। जब रक्त की आवश्यकता पड़ती है, तब उन्हें रक्तदान का महत्व समझ आता है। फिर भी रक्तदान नहीं करते। मेयो, मेडिकल, डागा व सुपर स्पेशालिटी में मिलाकर हर रोज औसत 200 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। इनमें से बमुश्किल 20 लोग ही रक्तदाता होते हैं। इसलिए रक्तदान के लिए नये नीति-नियम बनाने जरुरत महसूस की जा रही है।

मनसर से खाली हाथ लौटी सुपर स्पेशालिटी की टीम : सरकारी स्तर पर रक्तदाताओं के लिए कोई उपहार देने का नियम नहीं है। वहीं निजी ब्लड बैंक रक्तदाताओं का जुगाड़ करने के लिए चाय-कॉफी, नाश्ता, टी शर्ट, बैग आदि का पैकेज देते है। निजी ब्लड बैंकों से रक्तदाताओं को उपहार मिलने से वे खुशी खुशी वहां रक्तदान करने जाते हैं। इन दिनों गणेशोत्सव शुरु है। जिलाधिकारी कार्यालय, पुलिस आयुक्तालय से लेकर स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने गणेश मंडलों को रक्तदान शिविर आयोजिन कर रक्तदान करने का आह्वान किया। इसके लिए सरकारी व निजी ब्लड बैंकों को सह्योग करना है। आयोजित शिविरों में निजी ब्लड बैंकों के शिविरों में अधिक रक्त संकलन हो रहा है। जबकि सरकारी ब्लड बैकों द्वारा लिये गए शिविरों में नाममात्र रक्त संकलन हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि मेयो की टीम रामटेक गई थी, वहां के शिविर में मात्र 6 लोगों ने रक्तदान किया। वहीं सुपर स्पेशालिटी की टीम मनसर गई थी। इस शिविर में एक भी व्यक्ति रक्तदान करने नहीं पहुंचा। ऐसे हालातों के चलते सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत मचना आम बात है।

पुलिसकर्मियों का रक्तदान, 100 यूनिट संकलन : मौदा स्थित अरोली पुलिस थाने में शुक्रवार को रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार की संकल्पना व अपर पुलिस अधीक्षक रमेश धुमाल, उपविभागीय पुलिस अधिकारी रमेश बरकते के मार्गदर्शन से शिविर आयोजित किया गया। अरोली पुलिस थाने की थानेदार स्नेहल राऊत, पुलिस उप निरीक्षक सोनवणे, समाजसेवा अधीक्षक किशोर धर्माले, सचिन दोड समेत पुलिस पाटिल व गणेशोत्सव मंडलों ने सह्योग किया। शिविर में पुलिसकर्मियों समेत आम जनों ने रक्तदान किया। इस दौरान 100 यूनिट रक्त संकलित हुआ। थानेदार ने सभी रक्तदाताओं व मेडिकल की टीम का आभार माना। शिविर के दौरान समर्थ रामदास हाइस्कूल के विद्यार्थियों ने स्वच्छता जागरुकता पर नाटिका प्रस्तुत की।

Created On :   14 Sept 2024 7:44 PM IST

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