राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान: शौर्य डोभाल ने सरल शब्दों में समझाया अच्छी अर्थ व्यवस्था का मतलब, अगले 8 साल में शिखर पर होगा भारत

शौर्य डोभाल ने सरल शब्दों में समझाया अच्छी अर्थ व्यवस्था का मतलब, अगले 8 साल में शिखर पर होगा भारत
  • दैनिक भास्कर के खास आयोजन में शौर्य डोभाल का व्याख्यान
  • राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान में अच्छी अर्थ व्यवस्था का मतलब समझाया
  • अतीत में कुछ गलतियां हुई, हम तेजी से और आगे बढ़ सकते थे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंकिंग विशेषज्ञ शौर्य डोभाल ने बड़ी ही सरल भाषा में देश की अर्थ व्यवस्था को समझा दिया। उन्होंने कहा कि पिछले दल साल में भारत जितना आगे बढ़ा, उतना पिछले 75 साल में नहीं बढ़ा था। यदि उस वक्त अर्थ व्यवस्था पर फोकस कर बड़े कदम उठाए जाते तो आज देश और आगे निकल गया होता। सन 1947 की बात करें, तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2.7 लाख करोड़ रुपए था। 2019 तक की अर्थ व्यवस्था तीन ट्रिलियन डॉलर की तक पहुंची। इसी तरह अगले 8 साल में अर्थ व्यवस्था 8 ट्रिलियन हो जाएगी। भारत चौथे नंबर के पायदान से तीसरे पायदान पर आएगा। शौर्य डोभाल ने बताया कि सबसे बढ़ी अर्थ व्यवस्था का मापदंड है कि अर्थ व्यवस्था को किस तरह उभारा जा सके, जिससे समाज का हर वर्ग, हर क्षेत्र बराबरी से आगे बढ़ सके।

आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी लगभग 3.65 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। केंद्रीय बजट 2023-24 के मुताबिक, भारत की नॉमिनल जीडीपी का अनुमान 301.75 लाख करोड़ रुपए है। जो वित्त वर्ष 2022-23 के 272.41 लाख करोड़ रुपए से 10.5 फीसदी ज्‍यादा है।

शौर्य डोभाल ने कहा कि दुनिया की ग्लोबल जीडीपी 80 ट्रिलियन डॉलर है, जिसमें दुनिया के लगभग 200 देशों में पहले बड़े सात देशों की अर्थ व्यवस्था 40 ट्रिलियन है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी 193 देश के पास कुल जीडीपी का आधा है। ऐसे में माना जाता है कि जिसकी जितनी बड़ी इकोनॉमी उसकी उतनी बड़ी ताकत।

ग्रोथ बहुत बड़ा फैक्टर

किसी भी देश की इकोनॉमी में ग्रोथ एक बहुत बड़ा फैक्टर होता है। इसमें भी केवल ग्रोथ प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि साइज के साथ उसे लगातार आगे बढ़ाना अहम बात है।

खासकर दूसरे मापदंड में जीडीपी का रेट ऑफ ग्रोथ अहम माना जाता है। इसमें शौर्य डोभाल ने दो उदाहरण दिए, पहला उदाहरण दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति अमेरिका का है, और दूसरा उदाहरण चीन से जुड़ा है।

दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी यूनाइटेड स्टेट के बारे में जानकारी देते हुए डोभाल ने बताया कि यदि पिछले 75 साल का आंकड़ा देखा जाए तो, साल 1947 से 1950 तक सकल राष्ट्रीय उत्पाद $300,000 मिलियन हो गया था। 75 साल बाद 2022 में अमेरिका की जीडीपी 25 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की रही। इन सालों में उसकी अर्थ व्यवस्था 100 गुना बढ़ गई। उसका हर आदमी 40 गुना ज्यादा अमीर हो गया।

छोटे समय में देखें तो साल 1989 तक चीन की अर्थ व्यवस्था भारत के लगभग बराबर थी, जो 45 बिलियन डॉलर थी। जो बढ़कर आज 18 ट्रिलियन डॉलर हो गई है। इस दौरान चीन का जीडीपी 40 गुना बढ़ा है। इसी प्रकार वहां का हर व्यक्ति 35 गुना अमीर हो गया। 9 प्रतिशत की दर से चीन की अर्थ व्यवस्था ने विकास किया है। इसी के बीच 80 करोड़ जनसंख्या को गरीबी रेखा से उबाया गया, उन्हें मध्यम वर्ग तक लाया गया।

इन उदाहरणों को अच्छी अर्थ व्यवस्था के रूप में देखा जा सकता है। इन देशों ने अपनी अर्थ व्यवस्था को बड़ा किया और उसे तेजी से आगे बढ़ाया है।

क्या है गिनी कॉएफिशिएंट इनकम वेल्थ कंजप्शन

गिनी कॉएफिशिएंट इनकम वेल्थ कंजप्शन अर्थ व्यवस्था में काफी मायने रखता है। इसका डिस्ट्रीब्यूटर जस्टिस बराबर होना चाहिए। डिस्ट्रीब्यूटर जस्टिस यानि वितरणात्मक न्याय समाज में संसाधनों, वस्तुओं, अवसरों के सामाजिक रूप से न्यायसंगत बांटना है। यह इस बात से संबंधित है कि धन, आय और सामाजिक स्थिति जैसे फैक्टर्स को ध्यान रखते हुए समाज के सदस्यों के बीच संसाधनों को निष्पक्ष रूप से आवंटित किया जाए। 25 साल पहले देश का गिनी कॉएफिशिएंट इनकम वेल्थ कंजप्शन कम था, जो आज बढ़ गया है। यह हमारे लिए चैलेज हैं।

अर्थ व्यवस्था को मापने जीडीपी ग्रोथ और उसका डिस्ट्रीब्यूशन गिनी कॉएफिशिएंट मापना होगा। आपको बता दें गिनी इंडेक्स 0% से 100% तक होता है, जिसमें 0 पूर्ण समानता और 100 पूर्ण असमानता को दर्शाता है। 50 का राष्ट्रीय गिनी आधे रास्ते को दर्शाता है और इसे ऐसे देश के रूप में देखा जा सकता है, जहां आय का वितरण उचित नहीं है। 2024 तक दुनिया में केवल 14 देशों की गिनी 50 या उससे अधिक होगी।

अर्थव्यवस्था में तीसरा बड़ा फैक्टर

विशेषज्ञ शौर्य डोभाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था स्थाई हो, अचानक कुछ हो तो संभाल लिया जा सके। उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश में जिस तरह पॉलीटिकल स्टेबिलिटी बिगड़ी, उससे देश की अर्थव्यवस्था अब तेजी से नीचे जाती दिख रही है।

कुछ गलतियां हुईं, हम तेजी से आगे बढ़ सकते थे, लेकिन जितना बढ़े ठीक-ठाक रहा

शौर्य डोभाल ने एक घटना का जिक्र करते बताया कि 1991 में नरसिंह राव सरकार ने 46.91 टन सोना गिरवीं रखा था ताकि 400 मिलियन डॉलर जुटाए जा सकें। उस दौर में लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर कदम उठाया गया था।

बढ़ती अर्थव्यवस्था

2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई थी। विश्व बैंक ने परचेज़िंग पावर पैरिटी के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित कर दिया। बैंक के इंटरनैशनल कंपेरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है। जब्कि 2005 में यह 10वें स्थान पर थी।

जून 2021 तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 605.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया।

जाने-माने अर्थ-विशेषज्ञ शौर्य डोभाल ने दैनिक भास्कर और अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ के संयुक्त तत्वाधान में वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और विश्लेषक राजेंद्र माथुर की स्मृति में रसरंग सभागृह दैनिक भास्कर, ग्रेट नाग रोड में सोमवार को व्याख्यान दिया था। वक्ता हैं-अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंकिंग विशेषज्ञ शौर्य डोभाल का विषय था ‘अच्छी अर्थ-व्यवस्था का मतलब’। इस मौके पर दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे, संचालक सुमित अग्रवाल, संपादक मणिकांत सोनी और अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ के मार्गदर्शक गिरीश गांधी उपस्थित थे। इस दौरान काफी संख्सा में गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।

शौर्य डोभाल : परिचय

शौर्य डोभाल ने आर्मी पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री, बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो और लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए की दो डिग्री प्राप्त की है। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया से चार्टर्ड अकाउंटेंसी की है। डोभाल पेशे से एक निवेश बैंकर हैं। सिंगापुर स्थित धन प्रबंधन फर्म, टॉर्च इंवेस्टमेंट के प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने लंदन में जीई कैपिटल के लंदन कार्यालय और मॉर्गन स्टेनली के निवेश बैंकिंग प्रभाग में लीवरेज्ड फाइनेंस में एक दशक से अधिक समय तक काम किए हैं। भारत में आर्थर एंडरसन में कारपोरेट फाइनेंस सलाहकार के साथ भी काम किए हैं। सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में काम के लिए उन्हें वर्ष 2015 में आइजनहावर फेलोशिप से सम्मानित किया गया। वे जापान संस्कृति व वहां की अर्थव्यवस्था के जानकार हैं। प्राइड ऑफ इंडिया पुरस्कार, वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट्स साइंस फेलो से सम्मानित हैं। शौर्य डोभाल के पिता अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।

(कार्यक्रम की तस्वीरें)

कार्यक्रम का संचालन समन्वय संपादक आनंद निर्बाण, अतिथि परिचय संपादक मणिकांत सोनी और आभार प्रदर्शन मुख्य संवाददाता योगेश चिवंडे ने किया।










Created On :   12 Aug 2024 7:54 PM IST

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