गणेशोत्सव की तैयारी: नागपुर में विराजेगी माहुरगढ़ की रेणुकादेवी,केरल के गुरुवायुर मंदिर में विराजेंगे बाप्पा

  • लोककला संस्कृति के साथ दिखेगी इतिहास की झलक
  • अलग-अलग मंडलों द्वारा नई-नई संकल्पना होगी साकार
  • 250 से अधिक सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी नागपुर सर्वधर्मसमभाव की प्रतीक है। यहां सभी धर्म-संप्रदाय के तीज-त्योहार, उत्सव-पर्व सभी मिलकर मनाते हैं। राज्य का महाउत्सव यानि गणेशोत्सव की भी यहां बड़ी धूम होती है। इस साल 7 से 17 सितंबर तक गणेशोत्सव मनाया जाएगा। घरों से लेकर सार्वजनिक मंडलों में श्री गणेशजी की स्थापना की तैयारियां जोरों पर है। सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की झांकियों में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव आये हैं। तकनीक के साथ पंडालों की सजावट, झांकियां, विहंगम दृष्य, लाइटिंग, व्यवस्थापन आदि में बदलाव देखने मिलते हैं। इस साल भी नागपुर का गणेशोत्सव यादगार रहेगा। अलग-अलग मंडलों द्वारा नई-नई संकल्पना के साथ विशाल पंडालों का निर्माण किया जा रहा है। यह मात्र पंडाल नहीं बल्कि देशभर के विशेषताओं को यहां साकार किया जा रहा है। नागपुर में 250 से अधिक सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है। दैनिक भास्कर ने कुछ मंडलों की तैयारियों और विशेषताओं को जानने की कोशिश की है।

माहुरगढ़ में मिलेगा अभिषेक-संकल्प का मौका : श्री संती गणेशोत्सव व सांस्कृतिक मंडल द्वारा 67 साल से सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस बार मंडल द्वारा माहुरगढ़ की श्री रेणुकादेवी माता मंदिर की प्रतिकृति को साकार किया जा रहा है। संयोजक संजय चिंचोले ने बताया कि माहुरगढ़ मंदिर की प्रतिकृति के साथ ही यहां जमदाग्नि ऋषि मंदिर, मां तुलजाभवानी मंदिर, परशुराम मंदिर भी होंगे। विशालकाल पंडाल को दो माले में विभाजित किया जा रहा है। तल माले पर गणेशजी विराजित होंगे। उपरी हिस्से पर रेणुकादेवी के दर्शन होंगे। वहां के दर्शन करने करीब 50 सीढ़ियां चढ़नी होगी। दस दिन तक विविध धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। माहुरगढ़ की तर्ज पर यहां की दिनचर्या, पूजा-अर्चना होगी। इसके लिए माहुरगढ़ से विशेष पंडितों को आमंत्रित किया गया है। हर रोज देवी का गोंधल होगा। माहुरगढ़ में वितरीत किया जानेवाला तांबुल प्रसाद भक्तों को वितरीत किया जाएगा। जिस तरह माहुरगढ़ में अभिषेक व संकल्प करने पूजा-अर्चना होती है, भक्ताें को वैसा ही अवसर मिलेगा। माहुरगढ़ के निर्माण के लिए मुंबई, कलकत्ता व भोपाल के कलाकार दिन-रात एक कर रहे हैं। मूर्तियों का निर्माण राकेश पाठराबे द्वारा किया जा रहा है। जबकि माहुरगढ़ का डेकोरेशन काम सुनील शेंडे, श्रीकांत तल्हार व संदीप भुंबर कर रहे है।

संत तुकाराम महाराज से शिवराज्याभिषेक तक प्रस्तुति : श्री पातालेश्वर गणेश उत्सव मंडल ‘महल का राजा’ द्वारा पिछले 62 साल से सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस बार यहां शिवराज्याभिषेक का दृष्य साकार करने की तैयारियां शुरु है। अध्यक्ष सचिन नाइक ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यभिषेक के अवसर पर रायगढ़ किले में जो दृष्य दिखायी दिया था, वह यहां देखने मिलेगा। प्राचीन रायगढ़ किले की प्रतिकृति साकार की जाएगी। इसके साथ उस समय के सभी मुख्य पात्र दिखायी देंगे। इस मंडल द्वारा विसर्जन के दौरान नया प्रयोग किया जानेवाला है। विसर्जन यात्रा को मराठी बाणा नाम दिया गया है। एकसाथ नागपुर के 100 कलाकारों द्वारा विविध लोककला व संस्कृतियों की प्रस्तुति दी जाएगी। संत तुकाराम महाराज से लेकर शिवराज्याभिषेक तक का सजीव प्रस्तुतियां देखने मिलेगी। 100 नर्तकों द्वारा महाराष्ट्र के विविध प्रांतों की लोककला का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें बच्चों से लेकर बड़े तक युवक-युवतियां शामिल होगी। शिवराज्याभिषेक के लिए सोहराब खान व फिरोज के नेतृत्व कलाकार दिन-रात काम में जुटे है।

5000 साल पुराने गुरुवायुर मंदिर हो रहा साकार : श्री दक्षिणामूर्ति स्वयंसेवक गणेशोत्सव मंडल का यह 105 वां साल है। मंडल द्वारा इस बार केरल के एक प्रमुख तीर्थ स्थल गुरुवायुर मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण किया जा रहा है। यह 5000 साल पुराना मंदिर बताया जाता है। यहां श्रीकृष्ण के बाल रुप मी पूजा होती है। मंडल के सदस्य रोहित पागे ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण नागपुर के कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। मूर्तिकार नीलेश इंगले है। मंडल द्वारा बच्चों के लिए विविध कार्यशालाएं, प्रबोधनात्मक कार्यक्रम, धार्मिक आयोजन, महिलाओं के लिए आवर्तन कार्यक्रम आदि नियोजित किये गए है। आरती व विसर्जन के लिए केरल वाद्य बजानेवाले कलाकारों की टीम आनेवाली है। मंडल की तरफ से एक प्रसिद्ध गायिका व मुंबई के एक बैंड को आमंत्रित किया गया है। बताया जाता है कि यह मंदिर भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है। माना जाता है कि गुरुवायुर मंदिर की स्थापना गुरु ब्रहस्पति और वायुदेव ने की थी। गुरुवायुर मंदिर को दक्षिण की द्वारका भी कहा जाता है। यहां भगवान श्रीकृष्ण अपने गोपाल रूप में विराजमान है। गुरुवायुर केरल में त्रिशूल जिले का एक गांव है। यह स्थान भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।

Created On :   24 Aug 2024 2:58 PM GMT

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