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जरूरतमंद छात्र योजना से वंचित: 512 में से केवल 12 कॉलेजों में "कमाओ और पढ़ो' योजना
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गरीब छात्रों को पढ़ाई के साथ रोजगार भी मिले, इस उद्देश्य के साथ नागपुर विद्यापीठ ने पिछले साल से सभी कॉलेज में "कमाओ और पढ़ो' योजना की शुरुआत की गई है, लेकिन छात्रों के हित को लेकर कॉलेजों की उदासीनता अब भी बरकरार है। हाल ही में हुए नागपुर विद्यापीठ के सीनेट सभा में इस मुद्दे को लेकर काफी बहस छिड़ी। विद्यापीठ के अंतर्गत आने वाले कुल 512 कॉलेजों में से सिर्फ 12 कॉलेजों में यह योजना शुरू होने की चौंका देने वाली बात सामने आई। स्वयं के वेतन और सुविधाओं के लिए सदैव अग्रणी रहने वाले कॉलेज छात्रों के हित पर उदासीन नीति अपना रहे हैं। सीनेट सभा में सवाल उठने के बाद भी सिर्फ 12 कॉलेजों में यह योजना शुरू हुई है।
योजना का किया गया है विस्तार : नागपुर विद्यापीठ ने 2005 से छात्रों के हित में "कमाओ और पढ़ो' यह योजना शुरू की थी। तब नागपुर विद्यापीठ के शैक्षणिक विभाग के लिए सिर्फ यह योजना लागू थी। इस योजना के तहत साल भर में 200 छात्र लाभ लेते थे। 2022-23 साल से योजना का विस्तार बढ़ाकर विद्यापीठ के सभी कॉलेज के लिए यह योजना लागू कराई गई। योजना का लाभ लेने के लिए कॉलेजों को छात्र विकास विभाग को आवेदन भेजने होते हुए। उसके बाद छात्र विकास विभाग कॉलेजों में योजना शुरू करने को मंजूरी देते हैं। छात्र विकास विभाग ने बताया कि इस साल 12 कॉलेजों में "कमाओ और पढ़ो' योजना शुरू की गई है और बचे हुए कॉलेजों की ओर से भी आवेदन आ रहे हैं ।
योजना केवल कागज़ पर ना रह जाए : "कमाओ और पढ़ो' योजना छात्रों के हित की है, लेकिन इसके बारे में छात्र में जागरुकता का अभाव और कॉलेजों की उदासीन नीति बरकरार होने के कारण सवाल उठ रहा है कि आने वाले समय ये योजना केवल कागज़ पर न रह जाए।
कुल प्रवेश के एक प्रतिशत छात्रों को मिलेगा लाभ : "कमाओ और पढ़ो' योजना के तहत छात्रों को तीन घंटे तक कॉलेज के कार्यालयीन कामकाज करना है। इसके लिए छात्रों को प्रति घंटे 30 रुपये मिलते हैं। हर साल अक्टूबर से मार्च महीने तक यह योजना चलती है। प्रति वर्ष कॉलेज में दाखिल हुए कुल प्रवेश के एक प्रतिशत छात्रों को इस योजना का लाभ मिलता है।
Created On :   17 Nov 2023 5:23 AM GMT