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Nagpur News: विकास के लिए पेड़ों की कटाई की है, तो पौधारोपण क्यों नहीं
- आदेशों की अवहेलना पर सिर्फ डिपॉजिट जमा करना काफी नहीं
- संबंधित संस्था या ठेकेदार पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जरूरत
- 2 जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने जताई चिंता
Nagpur News विभिन्न विकास कार्यों से लेकर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जाती है। वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत विकास कार्य और सड़क चौड़ीकरण के लिए अगर पेड़ काटे जाते हैं, तो पौधारोपण करना आवश्यक है। साथ ही पेड़ों को जिंदा रखना संबंधित संस्था या ठेकेदार को जिम्मेदारी है, लेकिन ज्यादातर मामलों में पेड़ों की कटाई के बदले में पौधारोपण ही नहीं होता। इससे जुड़ी दो जनहित याचिकाओं पर खुद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा- वृक्ष संरक्षण अधिनियम के आदेशों की अवहेलना करने पर सिर्फ उनका डिपॉजिट जमा करना काफी नहीं होगा। आदेश का पालन नहीं करने वाली ऐसी संस्था या ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है, तभी वृक्षारोपण की मात्रा बढ़ेगी।
यह है दो मामले : कोर्ट में वर्धा जिले के आर्वी शहर से जाने वाले महामार्ग के लिए पेड़ों की कटाई के अनुमति के खिलाफ और अजनी इंटर मॉडल स्टेशन परियोजना के लिए पेड़ों को काटने पर आपत्ति जताने वाली जनहित याचिकाएं दायर हैं। इन दोनों मामलों में अलग-अलग हुई सुनवाई में पेड़ों की कटाई बदले में पौधारोपण नहीं करने मामला सामना आया। इसे कोर्ट ने गंभीरता से लेकर वृक्ष संरक्षण अधिनियम में शोध करने की अावश्यकता जताई है।
पौधारोपण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति : आर्वी शहर से संबंधित याचिका पर कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि, सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटे जाते हैं, तो पौधारोपण आवश्यक है। एक ओर सरकार की ओर से सड़क चौड़ीकरण के लिए ठेका दिया जाता है, लेकिन काटे गए पेड़ों के बदले पौधारोपण करने बात आती है, तो सरकार और ठेकेदार हाथ खड़े कर देते हैं। जब ठेका देते हो, तो फिर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता क्यों नहीं दिखाते? यह सवाल कोर्ट ने किया था। कोर्ट ने पौधारोपण के मुद्दे पर सिर्फ खानापूर्ति करने वाले ठेकेदार और अधिकारियों को बचाने की कोशिश पर जमकर फटकारा था।
पेड़ों को बचाने मैकेनिज्म जरूरी : अगर पेड़ नहीं काटे जाएंगें, तो विकास कार्य कैस होगा, यह तर्क देते हुए सरकार और अन्य संस्थाओं की ओर से बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की जाती है। िवकास कार्यों को लेकर न कोर्ट का, न पर्यावरण संगठन का विरोध है, लेकिन पौधारोपण नहीं किया जाएगा, तो आने वाले कुछ सालों में शहर की हरियाली ही खत्म हो जाएगी। इसका इंसान पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। पौधारोपण करने बाद अधिकांश पेड़ जीवित नहीं रहते, इस पर कोर्ट ने पेड़ों को बचाने के लिए क्या मैकेनिज्म है, यह सवाल करते हुए राज्य सरकार को जवाब दायर करने का आदेश दिया था।
Created On :   29 Oct 2024 1:19 PM IST