Nagpur news: सेहत पर असर - कोलार नदी प्रदूषित मामले में न निधि मिली और न एसटीपी बना

सेहत पर असर - कोलार नदी प्रदूषित मामले में न निधि मिली और न एसटीपी बना
  • लो कॉस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाना तय
  • एमपीसीबी ने जिप को दी थी ताकीद
  • खनिज निधि से संभावना की तलाश

Nagpur news. कोलार नदी का प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पांच साल पहले एसटीपी का प्रकल्प तैयार हुआ। निधि के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पास प्रस्ताव भेजा गया। उसे मंजूरी नहीं मिली। कोलार नदी का प्रदूषित पानी कन्हान नदी में पहुंचता है। उसी पानी की नागपुर शहर को जलापूर्ति होती है। नागपुर को जलापूर्ति करने से पहले कन्हान जलशुद्धिकरण केंद्र में प्रक्रिया की जाती है। कोलार नदी में प्रक्रिया कर उसे आगे छोड़ने पर कन्हान नदी का प्रदूषण कम होगा और नागपुर शहर को शुद्ध जलापूर्ति हो सकती है।

चिचोली में एसटीपी प्रस्तावित

सावनेर तहसील के चिचोली गांव की सीमा में 0.99 हेक्टेयर क्षेत्रफल में एसटीपी प्रस्तावित है। चिचोली-खापरखेड़ा व पोटा-चनकापुर ग्राम पंचायत का गंदा पानी कोलार नहीं में छोड़ा जा रहा है। इस पानी से नदी का प्रदूषण स्तर बढ़ गया है। नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए जिला परिषद ने चचोली में एसटीपी लगाने का नियोजन किया। एसटीपी का इस्टीमेट तैयार किया। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पास निधि के लिए प्रस्ताव भेजा। प्रदूषण नियंत्रण मंडल से लगातार पत्राचार करने पर भी निधि उपलब्ध नहीं की गई।

लो कॉस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाना तय

आखिरकार जिप के पानी व स्वच्छता विभाग के पास उपलब्ध निधि से लो कॉस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का तय हुआ। इसमें नीरी से तकनीकी सहयोग लिया गया। स्थानीय नागरिकों ने उसे विरोध किया। नागरिकों की भावना को भांपकर लो कॉस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की जगह नांदेड़ की तर्ज पर ‘डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट’ बनाने का नियोजन किया गया। उस पर 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च अपेक्षित है। निधि कहां से उपलब्ध कराया जाए, उसे लेकर प्रशासन मंथन कर रहा है। निधि का रास्ता नहीं मिलने से प्रशासन ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

एमपीसीबी ने जिप को दी थी ताकीद

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल यानी एमपीसीबी ने जून 2020 में जिला परिषद को कोलार नदी का प्रदूषण रोकने की ताकीद दी थी। उचित कदम नहीं उठाने पर प्रतिमाह 5 लाख रुपए जुर्माना ठोंकने की चेतावनी भी दी। एसटीपी पूरा करने के लिए मार्च 2021 की डेडलाइन दी गई। पांच साल हो गए, लेकिन न एसटीपी बना और ना ही जिप पर जुर्माना ठोंका गया।

खनिज निधि से संभावना की तलाश

निधि के अभाव में एसटीपी लड़खड़ा जाने पर प्रशासन ने अन्य विकल्पों पर मंथन किया। इस बीच, खनिज विकास प्रतिष्ठान से निधि उपलब्ध कराने की संभावना तलाशी गई। जिलाधिकारी ने निधि उपलब्ध कराने सकारात्मक प्रतिसाद दिया। जिप का पानी व स्वच्छता विभाग तथा खनिज विकास प्रतिष्ठान की साझेदारी से प्रकल्प खड़ा करने का तय हुआ। जिला परिषद ने निधि के लिए खनिज विकास प्रतिष्ठान के पास प्रस्ताव भेजा है। अभी तक उसे मंजूरी नहीं मिली है। बहरहाल जिप के पानी व स्वच्छता विभाग ने नदी में छोड़ जा रहे गंदे पानी को रोकने के लिए मनरेगा से शॉकपिट बनाए हैं। उसके मध्यम से नदी में छोड़ा जा रहे पानी को जगह-जगह रोक कर यथासंभव प्रदूषण कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

Created On :   10 March 2025 7:30 PM IST

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