Nagpur News: कंक्रीटीकरण के कारण विकसित हीट आइलैंड प्रभाव से शहर का तापमान बढ़ा

कंक्रीटीकरण के कारण विकसित हीट आइलैंड प्रभाव से शहर का तापमान बढ़ा
  • नागपुर के 700 किमी सीमेंटीकरण का मुद्दा हाई कोर्ट में
  • राज्य और केंद्र को दिया नोटिस, 3 सप्ताह में मांगा जवाब

Nagpur News शहर में वर्ष 2014 से 2024 इस दस वर्ष में विकसित किए गए 700 किमी लंबे सीमेंटीकरण मार्ग से हो रहे विभिन्न पर्यावरणीय प्रभाव के मुद्दे को लेकर बाम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण के कारण विकसित हीट आइलैंड प्रभाव ने शहर का तापमान बढ़ा दिया है। इस याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मनपा, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई समेत राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता के तर्क : याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। जनमंच संस्था के अध्यक्ष राजीव जगताप ने इस मुद्दे को लेकर नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, सीमेंट सड़कों में फ्लाई ऐश और कंक्रीट का मिश्रण उपयोग किया जाता है। तापीय विद्युत संयंत्रों द्वारा फ्लाई ऐश के निपटान के लिए इसे मुफ्त में वितरित किया जाता है, लेकिन सीमेंट सड़कों में कंक्रीट सही तरीके से इस्तेमाल न किए जाने के कारण फ्लाई ऐश-कंक्रीट का मिश्रण बाहर निकलता है, जिससे सड़क पर महीन धूल फैलती है और नागरिकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से पेवर ब्लॉक टूट रहे हैं। डामर की तुलना में सीमेंट सड़कों से कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है। डामर की सड़कें हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होती हैं और ये सस्ती तथा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं।

गंभीर मुद्दा नजरअंदाज : याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि नागपुर वासियों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के बाद "ग्रीन नागपुर' नामक नागरिक समूह ने सीमेंट सड़कों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। नागरिकों ने प्रशासन से मांग की कि शहर में और अधिक सीमेंट सड़कों का निर्माण न किया जाए। इसके बाद, एक सक्रिय नागरिक ने "चेंज डॉट ओआरजी' ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से यह मुद्दा उठाया। इस याचिका में सीमेंट सड़कों से उत्पन्न गर्मी, जलभराव, बाढ़ जैसी स्थिति, कार्बन उत्सर्जन, संसाधनों की खपत, ऊर्जा उपयोग, कचरा उत्पादन, अत्यधिक कार्बन निर्माण और परावर्तन जैसे नुकसानों को उजागर किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. परवेज मिर्झा ने पैरवी की।

प्रदूषित शहरों में नागपुर : 131 नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची के अनुसार, नागपुर शहर भी नॉन-अटेनमेंट श्रेणी में आता है। ये वे शहर होते हैं जो कम से कम पांच वर्षों तक राष्ट्रीय वायुमंडलीय गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को पूरा करने में विफल रहते हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2019 में 131 नॉन-अटेनमेंट शहरों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया।

बारिश की नालियों, सीवेज लाइनों, बिजली की केबलों, जल आपूर्ति प्रणालियों और ग्रिड के साथ हो रहे सीमेंटीकरण की जांच की जाए। {राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदमों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए जाएं। {सीमेंट कंक्रीट सड़कों में तकनीकी खामियों का पता लगाने के लिए थर्ड पार्टी तकनीकी ऑडिट के आदेश दिए जाएं। {शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करने के लिए न्यायालय की निगरानी में विशेषज्ञ समिति गठित की जाए। {पुणे स्थित अभियांत्रिकी महाविद्यालय को ‘अर्बन हीट आइलैंड’ के प्रभावों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए जाएं। {मेयो-मेडिकल से श्वसन, त्वचा, नेत्र, मस्तिष्क और पाचन संबंधी रोगों से जुड़े मरीजों का डाटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिए जाएं।


Created On :   3 April 2025 12:12 PM IST

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