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Nagpur news: इंतजार में लाल परी - 8 साल से नहीं मिली है एसटी बेड़े में नई बसें, बढ़ रहे यात्री

- कम हो रही बसों की संख्या
- 8 साल से नहीं मिली है एसटी बेड़े में नई बसें
बढ़ रहे यात्री, कम हो रही बसों की संख्या
निज संवाददाता | नागपुर
एसटी महामंडल भले ही परिवहन की श्रेणी में यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन इसकी ओर सरकार का उदासीन रवैया साफ दिखाई दे रहा है। नागपुर विभाग को गत 8 साल से कोई नई बस नहीं मिली है। वर्ष 2017 में 713 बसें थीं और यात्रियों की प्रति दिन की संख्या 75 हजार से 80 हजार तक थी। वर्तमान में बसों की संख्या 413 है, लेकिन यात्रियों की संख्या 1 लाख तक पहुंच गई है। त्योहारों में यह संख्या और बढ़ जाती है। ऐसे में एसटी महामंडल को भारी परेशानी का सामना करते हुए कामकाज चलाना पड़ रहा है। बजट में इन बसों की ओर ध्यान देने की अपेक्षा की जा रही है। देखना यह होगा कि, महाराष्ट्र की लाल परी को कुछ मिलेगा या नहीं।
दो किमी पैदल आते हैं स्कूली बच्चे : एसटी की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में शालेय फेरियों के नाम पर बसों को चलाया जाता है। स्कूल जाकर पास दिए जाते हैं, लेकिन बसों की कमी के कारण आज भी कई ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे हैं, जिन्हें एसटी बसों तक पहुंचने के लिए 2 किमी का फासला तय कर जंगल मार्ग से आना पड़ रहा है। उमरेड रोड स्थित अडाळी नामक गांव का उदाहरण लिया जा सकता है। इस गांव में स्कूल नहीं होने से इन्हें उमरेड या नागपुर आना पड़ता है। ऐसे में इन्हें बस की दरकार है।
- नागपुर विभाग अंतर्गत शहर में चार डिपो और ग्रामीण में चार डिपो शामिल हैं। इसमें रामटेक, उमरेड, सावनेर व रामटेक आते हैं। ऐसे में प्रति दिन इन बसों पर 1 लाख से ज्यादा यात्री निर्भर रहते हैं। नागपुर में गणेशपेठ बस स्टैण्ड मुख्य है।
- कोरोना काल के पहले तक इनकी स्थिति ठीक थी। यानी वर्ष 2017 में नागपुर विभाग के पास 713 बसें हर दिन तैयार रहती थी। अभी स्थिति बदल गई है, 8 साल से नई बस नहीं मिलने से वही मौजूदा बसों से 3 सौ से ज्यादा बसें कबाड बन जाने से विभाग के पास 4 सौ 13 बस ही बची हैं।
- इन बसों को अमरावती, चंद्रपुर, पुणे, नांदेड़, पंढरपुर, काटोल, उमरेड आदि मुख्य जगहों पर भेजा जाता है, लेकिन बहुत छोटे ग्रामीण क्षेत्रों तक बसों की कमी रहने से बसे जा नहीं पा रही है। वहीं जिन जगहों पर बसें भेजी जा रही हैं, वहां पहले की तुलना फेरियां कम कर दी गई हैं।
बस स्टैण्ड का विकास अटका पड़ा है
नागपुर के गणेशपेठ बस स्टैण्ड को वर्ष 2017 में ही हाईटेक बनाने की घोषना की थी, जिसकी जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी गई थी। इसके बाद पहले राशि की कमी और फिर कोरोना की दस्तक के कारण बस स्टैंड का विकास नहीं हुआ। कोरोना जाने के बाद स्टेशन निर्माण की कास्टिंग बढ़ गई, पैसों के अभाव में आज तक यह काम पूरा नहीं हो सकता है। अधूरे निर्माणकार्य के बीच यात्रियों को बस पकड़नी पड़ रही है। स्टैण्ड की हालत इतनी दयनीय है, कि वर्तमान स्थिति में अप-डाउन करनेवाले यात्रियों के वाहन रखने के लिए प्रशासन के पास स्वतंत्र पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है।
वर्तमान में बसें कम
विनोद चावरे, विभाग नियंत्रक, एसटी महामंडल नागपुर विभाग के मुताबिक हमारी ओर से लगातार मुख्यालय को नई बसों की मांग की जा रही है। वर्तमान में बसों की संख्या कम है, लेकिन यात्री सुविधाएं पूरी देने की कोशिश की जा रही है। बसों की अवधि खत्म होने से बसों की संख्या कम हो रही है। जल्दी नई बसें मिलने की उम्मीद है।
Created On : 10 March 2025 2:23 PM