Nagpur News: हाशिये पर योजना - नहीं मिला यूनिफार्म, वर्ष 2022 की तुलना में 2024 में योजना हुई फेल

हाशिये पर योजना - नहीं मिला यूनिफार्म, वर्ष 2022 की तुलना में 2024 में योजना हुई फेल
  • एक राज्य, एक यूनिफार्म' योजना पर सवाल
  • सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट
  • अन्य सुविधाओं में भी कमी

Nagpur News. राज्य सरकार ने राज्य स्तर पर एक ही यूनिफॉर्म लागू करने का फैसला किया था, लेकिन यह फिसड्डी साबित हुआ। वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2024 में महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों के कक्षा पहली से कक्षा आठवीं तक के 872 स्कूलों में प्राथमिक में 15.5 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक के 18.5 प्रतिशत स्कूलों को यूनिफार्म ही नहीं मिला।

"एक राज्य, एक यूनिफार्म' योजना पर सवाल

यह चौकाने वाला खुलासा राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाली प्रथम इस गैर-सरकारी संस्था की रिपोर्ट "असर -2024' में हुआ है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि, वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2024 में -"एक राज्य, एक यूनिफार्म' योजना हुई फेल हुई है। एक ओर महाराष्ट्र में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों को यूनिफार्म तक उपलब्ध नहीं किया जा रहा है इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात क्या होगी?

सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट

प्रथम संस्था ने महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके में कक्षा पहली से आठवीं तक के सबसे बड़े 872 सरकारी स्कूलों का दौरा किया। इसमें 409 प्राथमिक और 463 उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल है। इन स्कूलों के सर्वेक्षण के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में 823 सरकारी स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें 402 प्राथमिक और 421 उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल थे। तब प्राथमिक स्कूल के सभी ग्रेड के 94.6 प्रतिशत स्कूलों और 93.1 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्कूलों के सभी ग्रेड को यूनिफार्म दिया गया, लेकिन वर्ष 2024 की बात करें तो प्राथमिक स्कूल के सभी ग्रेड को सिर्फ 79.1 प्रतिशत और 74.6 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्कूलों को यूनिफार्म दिया गया।

किताबों का भी यही हाल

यूनिफार्म की तरह सरकारी स्कूलों के छात्रों को मिलने वाले किताबों का भी यही हाल देखने को मिला। वर्ष 2022 में प्राथमिक स्कूल के सभी ग्रेड को 98 प्रतिशत और 95.7 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्कूलों में किताबों का वितरण किया गया, लेकिन वर्ष 2024 में किताबों की वितरण में गिरावट देखने को मिली। प्राथमिक स्कूल 93.9 प्रतिशत और 93.3 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्कूलों को ही किताबों का वितरण किया गया।

अन्य सुविधाओं में भी कमी

"असर -2024' की रिपोर्ट देखें तो 872 सरकारी स्कूलों में से 33 फीसदी सरकारी स्कूलों में बच्चों को पीने का पानी नहीं। प्राथमिक में 15.5, उच्च प्राथमिक के 18.7 प्रतिशत स्कूलों को यूनिफार्म नहीं मिला। किताबों का भी यह हाल है। यानी एक तरह से सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्वच्छ पीने का पानी, यूनिफॉर्म और किताबों से वंचित किया जा रहा है। तो सवाल उठता है कि यह सरकारी स्कूलों को बंद करने की कहीं साजिश तो नहीं है?

Created On :   10 Feb 2025 6:57 PM IST

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