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Nagpur News: अदालत ने कहा - पीछा करने की एकमात्र घटना छेड़छाड़ नहीं, युवक निर्दोष बरी

- अपराध पर अंकुश के लिए धारा
- युवक निर्दोष बरी हुआ
Nagpur News. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में फैसला दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354-डी के तहत किसी युवती का पीछा करने की एकमात्र घटना को छेड़छाड़ नहीं माना जा सकता। छेड़छाड़ का अपराध साबित करने के लिए बार-बार और लगातार होने वाले व्यवहार की आवश्यकता होती है।
युवक निर्दोष बरी
न्या. गोविंद सानप ने यह फैसला देते हुए वर्धा जिले के 19 वर्षीय युवक को निर्दोष बरी किया, जिसे अमरावती सत्र न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की का पीछा करने के मामले में दोषी ठहराते हुए एक वर्ष की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। यह घटना 23 जुलाई 2018 को हुई थी। युवक ने नाबालिग लड़की का दो बार हाथ पकड़ा और जवाब न देने पर आत्महत्या करने की धमकी दी। आरोप था कि युवक का लड़की से एक तरफा प्यार था और उसने जबरन रिश्ता बनाने की कोशिश की। अमरावती पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 354-डी के तहत मामला दर्ज किया था।
अदालत की टिप्पणी
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस धारा के तहत केवल एक घटना के आधार पर छेड़छाड़ का अपराध लागू नहीं होता। इसके लिए बार-बार ऐसा व्यवहार होना जरूरी है। व्यक्तिगत संवाद बढ़ाने के लिए बार-बार प्रयास होने पर ही यह अपराध लागू होता है। कोर्ट ने जांच के दौरान प्रक्रियात्मक खामियों, पीड़िता की गवाही और अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास पर भी ध्यान दिया। सबूतों में अतिशयोक्ति और सजावट थी, और पीड़िता के आरोपों को पुष्ट करने वाले ठोस सबूत नहीं थे। इससे अभियोजन पक्ष का दावा कमजोर हुआ। कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सबूतों से लगातार छेड़छाड़ का व्यवहार साबित नहीं हुआ। अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा, इसलिए कोर्ट ने युवक को बरी कर दिया।
अपराध पर अंकुश के लिए धारा
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के तहत धारा 354-डी को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न को रोकना है। लेकिन, इस धारा के लागू होने के लिए पीड़िता की इच्छा के खिलाफ बार-बार और जानबूझकर संपर्क या पीछा करने के प्रयास जरूरी हैं।
Created On :   14 April 2025 9:17 PM IST