Nagpur News: बीत रहे साल में सत्ता ने खूब छकाया, कुछ अर्श तो कुछ फर्श तक

बीत रहे साल में सत्ता ने खूब छकाया, कुछ अर्श तो कुछ फर्श तक
  • साल भर राजनीतिक हलचल रही, लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अलावा विधानपरिषद चुनाव हुए
  • जनप्रतिनिधियों को काफी छकाया। कुछ अर्श पर तो कुछ फर्श पर पहुंच गए।
  • राज्य सरकार का नेतृत्व शहर को मिल गया।

Nagpur News. साल भर राजनीतिक हलचल रही। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अलावा विधानपरिषद चुनाव हुए। सत्ता ने जनप्रतिनिधियों को काफी छकाया। कुछ अर्श पर तो कुछ फर्श पर पहुंच गए। राज्य सरकार का नेतृत्व शहर को मिल गया। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। सरकार से संगठन के साथ चंद्रशेखर बावनकुले फिर से सरकार में पावरफुल भूमिका में लौट आए। दो बार लोकसभा सदस्य रहे कृपाल तुमाने विधान परिषद सदस्य चुने गए। परिणय फुके को भी दोबारा विधानपरिषद सदस्य चुना गया। बावनकुले व प्रवीण दटके के विधानसभा सदस्य चुने जाने से विधान परिषद की दो सीट रिक्त हुई। वहीं, भाजपा के विधायक टेकचंद सावरकर व विकास कुंभारे विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी पाने से वंचित रह गए। विधायक रहे सुधाकर कोहले व मिलिंद माने को उम्मीदवारी मिली, लेकिन वे जीत नहीं पाए। उम्मीदवारी पाने से चूके भाजपा के पूर्व विधायक मलिकार्जुन रेड्डी, कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजेंद्र मुलक, कांग्रेस के युवा नेता याज्ञवल्क्य जिचकार को पार्टी ने निलंबित किया। पूर्व मंत्री सुनील केदार और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख को राजनीतिक मात मिली।

गडकरी तीसरी बार बने मंत्री

नितीन गडकरी तीसरी बार केंद्रीय मंत्री बने। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में उनका नाम नहीं था। कई चर्चाएं हुई। दूसरी सूची में नाम आया। कांग्रेस में मतभेद कायम रहा, लेकिन भाजपा और गडकरी की जीत का अंतर कम हो गया। कांग्रेस में विधायक विकास ठाकरे व नरेंद्र जिचकार के बीच विवाद कायम रहा। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में गडकरी पिछले वर्षों की तुलना में अधिक सभाएं लेते नजर आए। गडकरी पर भाजपा के कोप की आशंकाएं व्यक्त की जाती रहीं। ऐसे में गडकरी ने एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को नोटिस दी। बनवारीलाल पुरोहित राज्यपाल पद से सेवानिवृत हो गए।

छाया रहा बर्वे परिवार

जिले की राजनीति में रश्मि बर्वे व उनके पति श्याम बर्वे छाये रहे। रामटेक लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी तय होने के बाद भी रश्मि बर्वे चुनाव नहीं लड़ पाईं। उनके पति श्याम बर्वे ने पत्नी का सम्मान कायम रखा। चुनाव जीत लिया। न्यायालयीन लड़ाई में रश्मि सत्ता को चुनौती देती रहीं। लोकसभा चुनाव के बाद वे जिला परिषद की राजनीति में लौट आईं। बर्वे के साथ राजू पारवे भी चर्चा में रहे। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पारवे ने कांग्रेस और विधायक पद को छोड़ा। भाजपा के चक्कर काटे पर लोकसभा की उम्मीदवारी एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने दी। लोकसभा में पराजय के बाद पारवे ने उमरेड से विधानसभा की उम्मीदवारी मांगी। नहीं मिली, तो निर्दलीय पर्चा भर दिया। बाद में भाजपा का दामन थामकर विधानसभा चुनाव से पर्चा वापस ले लिया। बर्वे परिवार के राजनीतिक संरक्षक सुनील केदार वर्ष के आरंभ से ही अड़चनों में फंसते नजर आए। सहकार घोटाले में जेल गए। जनवरी में जेल से छूटे और कार रैली निकाली तो उनके समर्थक कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज कर दिए गए।

संघ की नई टीम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नई टीम संघ की प्रतिनिधि सभा में बनी। दत्तात्रेय होसबले पुन: सरकार्यवाह चुने गए। कृष्णगोपाल, मुकुंद, अरुणकुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लिमये को सहकार्यवाह चुना गया। भाजयुमो का महासम्मेलन विश्वविद्यालय मैदान में हुआ। एक कार्यक्रम के सिलसिले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शहर में पहुंचे।

अंत्योदय

साल का अंत जिले के लिए राजनीतिक पावर का उदय ले आया। देवेंद्र फडणवीस ने 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मंत्रिमंडल का विस्तार मुंबई के बाद नागपुर में किया गया। चंद्रशेखर बावनकुले ने सबसे पहले मंत्री पद की शपथ ली।

राजनेताओं का आना जाना रहा

लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्हान में सभा को संबोधित किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पदाधिकारियों से चर्चा कर लौट गए। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने सभा को संबोधित किया। प्रियंका गांधी ने रोड शो किया। राहुल गांधी ने छत्रपति चौक में दुकान में पोहा तरी का स्वाद लिया। बसपा की अध्यक्ष मायावती ने सभा ली। विधानसभा चुनाव में शरद पवार सहित राज्य के सभी प्रमुख नेता शहर में पहुंचे।

Created On :   29 Dec 2024 8:17 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story