पॉलिटिकल स्टेप: दत्ता मेघे के भतीजे ने थाम लिया है कांग्रेस का हाथ, परिवार का दांव तो नहीं !

दत्ता मेघे के भतीजे ने थाम लिया है कांग्रेस का हाथ, परिवार का दांव तो नहीं !
  • मेघे परिवार की शिक्षा संस्थाओं के मुखिया रहे हैं डॉ.अभ्युदय
  • विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी
  • जल्द साफ होगी नई रणनीति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ ही राज्य की राजनीति में कई नए दांवपेंच सूर्खियां बंटोर रहे है। ताजा मामले में दत्ता मेघे का परिवार चर्चा में है। मेघे परिवार भाजपा में है। लेकिन दत्ता मेघे के भतीजे डॉ.अभ्युदय मेघे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। डॉ.अभ्युदय को मनाने के लिए कुछ दिनों से मेघे परिवार में समझाइस का दौर चल रहा था। खामला स्थित मेघे भवन में नागपुर व वर्धा के मेघे परिवार के करीबी नेता एकत्र हुए थे। लेकिन डॉ.अभ्युदय अपने निर्णय पर कायम रहे। उन्होंने औपचारिक तौर पर कांग्रेस में वर्धा से उम्मीदवारी के लिए आवेदन फार्म भी जमा कराया है।

शिक्षा संस्था से इस्तीफा

मेघे परिवार की कई शिक्षा संस्थाएं है। इंजीनियरिंग व मेडिकल के अलावा अन्य फैकल्टी की शिक्षाएं दी जाती है। मेघे विश्वविद्यालय भी हैं। नागपुर, वर्धा के अलावा मुंबई व दुबई में भी मेघे परिवार की शिक्षा संस्थाएं हैं। इनमें वर्धा में मेघे विश्वविद्यालय के एकेडमिक सर्वेसर्वा के तौर पर डॉ.अभ्युदय मेघे जिम्मेदारी संभाल रहे थे। दत्ता मेघे के बड़े पुत्र सागर मेघे भी शिक्षा संस्थाओं के संचालक हैं। कांग्रेस में प्रवेश के साथ ही डॉ.अभ्युदय ने मेघे परिवार की शिक्षा संस्थाओं के पदों से इस्तीफा दे दिया है।डॉ.अभ्युदय ने कहा है कि उनका कांग्रेस से वैचारिक जुड़ाव रहा है। कांग्रेस में प्रवेश लेकर वे विचार से ही जुड़े हैं। संवाद माध्यम को दी प्रतिक्रिया में डॉ.अभ्युदय ने कहा है- पिता के समय से ही मेरी वैचारिक निष्ठा समाजवादी रही है। पिता प्राचार्य दिनकरराव मेघे स्मृति व्याख्यानमाल में आज तक जो भी वक्ता आएं सभी प्रगतिशील विचारों से जुड़े रहे है। मेघे साहब यानी दत्ता मेघे भी प्रत्येक कार्यक्रम में उपस्थित रहे हैं।

अहम सवाल

अहम सवाल यह है कि डॉ.अभ्युदय ने स्वयं कांग्रेस में जाने का निर्णय लिया या मेघे परिवार ने ही कोई दांव चला है। असल में मेघे परिवार राजनीति में पार्टी निष्ठा के मामले में भरोसेमंद नहीं रहा है। कांग्रेस में गांधी परिवार तक पहुंच रखनेवाले दत्ता मेघे कांग्रेस की टिकट पर 4 बार लोकसभा सदस्य चुने गए। एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। 1999 में शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनायी तो दत्ता मेघे राकांपा में शामिल हो गए। तब पवार के भरोसेमंदों में दत्ता मेघे, प्रफुल पटेल, पीए संगमा, तारिक अनवर जैसे चंद नेता ही थे। पवार ने मेघे को विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहते हुए महाराष्ट्र में खाद्य आपूर्ति मंत्री बनवाया था। लेकिन 2009 में मेघे ने वर्धा से भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। पराजित हो गए। दत्ता मेघे के पुत्र सागर को भाजपा ने विधानपरिषद सदस्य बनाया था। लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कहा कि अब राजनीति नहीं बल्कि शिक्षा संस्थाओं का काम करेंगे। लेकिन 2014 में सागर ने वर्धा लोकसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ लिया। पराजित हुए। सागर के छोटे भाई समीर युवक कांग्रेस में थे। 2014 आते आते मेघे परिवार भाजपा में लौट आया। समीर भाजपा की टिकट पर दो बार विधानसभा चुनाव जीते।

Created On :   9 Aug 2024 1:08 PM GMT

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