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नागपुर: निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता हो गई नष्ट
- केंद्र ने पास किया नया कानून
- सरकार को चुनाव रोकने का अधिकार
- एड. प्रकाश आंबेडकर का आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर. केंद्र सरकार ने निर्वाचान आयोग से संबंधित नया कानून पास कर निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता नष्ट कर दी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त के विशेषाधिकार घटकर बहुमत से निर्णय लेने का नए कानून में प्रावधान किया गया है। लोकसभा व राज्य सभा के 144 सांसदों के निलंबन के बाद विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना चर्चा के नया कानून पास करने का आरोप वंचित बहुजन आघाड़ी के संस्थापक एड. प्रकाश आंबेडकर ने पत्र परिषद में लगाया।
सत्ताधारी के हाथ की कठपुतली
रवि भवन में पत्रकारों से वार्तालाप में उन्होंने कहा कि, नए कानून से निर्वाचन आयोग सत्ताधारी के हाथ की कठपुतली बन गया है। निर्वाचन आयोग की चयन प्रक्रिया में सरकार ने अपना पक्ष मजबूत किया है। पहले निर्वाचन आयाेग की चयन प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, भारत के सरन्यायाधीश और विरोधी पक्ष नेता की तीन सदस्यीय समिति थी। नए कानून में प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री नामनिर्देशित एक कैबीनेट मंत्री व विरोधी पक्ष, की समिति को यह अधिकार दिया गया है। सरकार के पक्ष में बहुमत रहने से निर्वाचन आयोग की चयन प्रक्रिया में सरकार का अप्रत्यक्ष वर्चस्व स्थापित हो गया है। सरकार की मर्जी से चयनित निर्वाचन आयोग द्वारा निष्पक्ष काम को अंजाम नहीं दे पाने का संदेह है।
आर्थिक अधिकार घटाए
आंबेडकर ने बताया कि, निर्वाचन आयोग के आर्थिक अधिकार हटा दिए गए हैं। निर्वाचन आयुक्त केंद्र सरकार में सचिव स्तर का अधिकारी होगा, यानी जिसका भी चयन किया जाएगा वह आईएएस होगा। कैबीनेट सचिव को देय वेतन व भत्ता उसे लागू रहेगा। उसे मंजूरी देने के अधिकार कैबीनेट सचिव को दिए गए। निर्वाचन आयुक्त को पेंशन लागू की गई है। सचिव स्तर के अधिकारी को पहले से पेंशन लागू है। निर्वाचन आयुक्त बनने पर उसे पेंशन लागू करने का प्रावधान कर अप्रत्यक्ष दबाव बनाए जाने की एड. आंबेडकर ने टिप्पणी की।
राज्य निर्वाचन आयोग पर नियंत्रण
एड. आंबेडकर ने कहा कि, राज्य निर्वाचन आयोग के चयन का अधिकार मुख्य निर्वाचन आयुक्त को है। नए नियम में मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने का सरकार को अधिकार प्राप्त हो जाने से राज्य निर्वाचन आयोग केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ गया है।
चुनाव रोकने का हथियार
एड. आंबेडकर ने कहा कि, चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने पर संविधान ने उसे रोकने के किसी को अधिकार नहीं दिए हैं। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चाहे, तो अदालत में याचिका दायर की जा सकती है। निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अधिकार अब अन्य आयुक्तों के बराबर कर बहुमत से निर्णय लेने का प्रावधान किया गया है। सत्तापक्ष को चुनाव प्रचार या अपने पक्ष में बहुमत नहीं आने का अंदेशा होने पर निर्वाचन आयोग को बहुमत से निर्णय लेने का अधिकार देकर किसी भी समय चुनाव रोकने का हथियार इस्तेमाल किया गया है। सरकार को अपने हित में किसी समय चुनाव रोकने का अधिकार प्राप्त होने का आरोप भी उन्होंने लगाया।
ईवीएम का विरोध करना चाहिए
ईवीएम की पारदर्शिता पर देशभर में सवाल उठ रहे हैं। इस विषय पर इंडिया आघाड़ी से निर्वाचन आयोग के साथ बैठक बुलाने का आग्रह किया जाएगा। मान्यताप्राप्त राजनीतिक 30 पार्टियों में से 25 पार्टियों ने ईवीएम से मतदान का विरोध करने पर निर्वाचन आयोग को अधिक संख्याबल की बात मानने व उस पर अमल करने का संविधान में प्रावधान है।
Created On :   24 Dec 2023 2:25 PM GMT