- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- बाल विवाह के साथ बढ़ते तलाक का दंश...
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष: बाल विवाह के साथ बढ़ते तलाक का दंश भी झेल रहीं है राज्य की आदिवासी लड़कियां

- बाल विवाह के मामले
- बढ़ते तलाक का दंश
- आदिवासी लड़कियां की परेशानियां
- क्राई के सर्वे में खुलासा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाल विवाह के साथ अब राज्य की आदिवासी लड़कियां बढ़ते तलाक और पैसे लेकर विवाह की भी परेशानी से जूझ रहीं हैं। चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। अहमदनगर, पुणे, औरंगाबाद, अमरावती जिलों में साल 2020 से 2022 के बीच किए गए सर्वे में खुलासा हुआ है कि पारधी, भील और ठाकर समुदाय की कुल 396 लड़कियों की तलाक के बाद दूसरी शादी हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 139 लड़कियों की दोबारा शादी पुणे जिले में हुई है। इसके अलावा बड़ी समस्या यह है कि इन इलाकों में 423 आदिवासी लड़कियों की शादी पैसों के लेन देन के चलते हुई है। आदिवासी इलाकों में लड़कियां अपने अधिकारों के प्रति भी सजग नहीं हैं क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसी लड़कियां हैं जो स्कूल ही नहीं जातीं। इस साल सर्वे में क्राई को 443 ऐसी लड़कियों की जानकारी मिली जो स्कूल नहीं जातीं। 50 गांवों में 4106 लड़कियों के बीच यह सर्वे किया गया था। साल 2015 से अब तक इन इलाकों में 216 लड़कियों के बाल विवाह के भी मामले सामने आएं हैं जिनमें सबसे ज्यादा 103 मामले अहमदनगर जिले के हैं। क्राई (वेस्ट) के जनरल मैनेजर (डेवलपमेंट सपोर्ट) कुमार नीलेन्दु ने कहा कि इन समुदायों के लोग खानाबदोश की जिंदगी जीते हैं जिसके चलते मुश्किलें आतीं हैं फिर भी हम लगातार परिवारों को समझा बुझा रहे हैं जिसके चलते अब करीब 90 फीसदी लड़कियां स्कूल जाने लगीं हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि बाल विवाह के प्रति अब भी उस पैमाने पर जागरूकता नहीं आई है और इस साल भी 622 अभिभावक नाबालिग बेटियों के विवाह की तैयारी कर रहे हैं।
शादी के नाम पर होता है सौदा
पारधी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली कविता (बदला हुआ नाम) की 13 वर्ष की आयु में पहली शादी हुई थी। 8 भाई बहनों वाले परिवार की आजीविका मजदूरी पर चलती थी। पांचवीं तक पढ़ी कविता की एक लाख रुपए लेकर शादी की गई लेकिन उसे बच्चे नहीं हुए जिसके चलते उसे पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे छोड़ दिया। एक तलाकशुदा व्यक्ति ने पिता ने एक लाख रुपए लेकर उसकी दूसरी शादी कराई लेकिन इलाज न होने के चलते वह फिर मां नहीं बन पाई और दूसरे पति ने भी उसे छोड़ दिया। अब कविता मजदूरी कर अपना भरणपोषण करती है जबकि दूसरा पति दिए गए एक लाख वापस करने के लिए परिवार पर दबाव बना रहा है। इसी तरह गुंडेगांव की पूजा (बदला नाम) की शादी 2021 में उस समय हुई थी जब वह सिर्फ 12 साल की थी। पति ने एक लाख रुपए देकर शादी की थी लेकिन पारिवारिक कलह के चलते वह पिता के घर लौट आई। पति ने पैसे वापस मांगने शुरू किए तो ढाई लाख रुपए लेकर उसकी दूसरी शादी कराई गई। नीलेन्दु के कहा कि समाज में कर्ज चुकाने के नाम पर लड़कियों की शादी आम बात है। इस तरह की शादियों में अक्सर लड़कियों को एक दो साल में छोड़ दिया जाता है। परेशानी यह है कि दोबारा शादी करने वाली लड़कियां शोषण का अधिक शिकार होतीं हैं।
हाशिए पर बेटियां
अहमदनगर पुणे औरंगाबाद अमरावती कुल
दोबार शादी 122 139 57 78 396
पैसों के लिए शादी 101 124 45 145 423
बालविवाह(2015-23) 103 68 45 - 216
स्कूल नहीं जातीं 288 155 - - 443
Created On :   11 Oct 2023 5:00 AM IST