बॉम्बे हाईकोर्ट: मनोज जरांगे-पाटील को नोटिस, प्रदर्शन की अनुमति के लिए सरकार को नहीं मिला पत्र

मनोज जरांगे-पाटील को नोटिस, प्रदर्शन की अनुमति के लिए सरकार को नहीं मिला पत्र
  • महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत में किया दावा
  • मुंबई में मराठा आंदोलन करने का मामला
  • गुणरत्न सदावर्ते की याचिका पर सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे-पाटील को नोटिस जारी किया है। वकील गुणरत्ना सदावर्ते ने जरांगे-पाटिल के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में सदावर्ते ने जारांगे-पाटील के मुंबई में मराठा आंदोलन पर रोक लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को सदावर्ते की याचिका पर तत्काल सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ कहा कि हमें अभी तक जरांगे-पाटील या उनके किसी भी व्यक्ति से विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगने वाला पत्र नहीं मिला है।

यह सच है कि हजारों लोग मुंबई की ओर आ रहे हैं। राज्य में सभी को विरोध प्रदर्शन की इजाजत है, लेकिन कानून व्यवस्था के हालात बिगाड़ने की किसी को भी इजाजत नहीं दी जा सकता है. कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. हम उसके लिए सभी उचित कदम उठाने को तैयार हैं, लेकिन सभी के अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की है।

हम एक कदम उठाते हैं और इसका उल्टा असर होता है? तो यह किसकी जिम्मेदारी है? यह भी एक सवाल है। खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए आप को हाई कोर्ट द्वारा किन आदेशों की आवश्यकता है? इसके बाद महाधिवक्ता सराफ ने कहा कि वह मुंबई में मनोज जरांगे-पाटील के विरोध प्रदर्शन को लेकर उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं. यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि मुंबई में मराठा आंदोलन से यहां का जनजीवन बाधित नहीं होगा.

खंडपीठ ने जरांगे-पाटील को नोटिस जारी करते हुए कहा कि सरकार को देखना होगा कि अगर हजारों बैलगाड़ियां, ट्रैक्टर और लाखों लोग शहर में आएंगे, तो क्या करना है? मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी गयी है। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि वह इस मामले में दोबारा आ सकते हैं।

याचिका में अनुरोध किया कि मनोज जरांगे-पाटील और उनके समर्थकों को मुंबई में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इससे शहर के लाखों लोगों को रोजी-रोटी कमाने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लाखों की संख्या में आंदोलतकारियों को मुंबई में प्रवेश से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। मुंबई में आजाद मैदान में 5 हजार लोगों को ही आंदोलन करने की इजाजत है। हजारों बैलगाड़ियां और ट्रैक्टर के साथ लाखों लोग शहर में आएंगे, तो क्या हालात होंगे? बुधवार को पुणे में लोगों को इस आंदोलन से काफी परेशानी हुई। स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद करनी पड़ीं. जरांगे-पाटील कुछ ही घंटों में अपने काफिले के साथ ठाणे पहुंचेंगे। कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

Created On :   24 Jan 2024 9:16 PM IST

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