महाराष्ट्र विधान मंडल: ना चर्चा- ना विवाद, एक मत से मराठा आरक्षण पारित, विपक्ष बोला चुनाव से पहले लॉलीपॉप

ना चर्चा- ना विवाद, एक मत से मराठा आरक्षण पारित, विपक्ष बोला चुनाव से पहले लॉलीपॉप
  • मराठा समाज को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण
  • विपक्ष बोला चुनाव से पहले लॉलीपॉप दिया

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र विधान मंडलके दोनों सदनों में मंगलवार को मराठा आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस विधेयक के जरिए अब मराठा समाज को शिक्षा और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण मिल सकेगा। विधेयक पेश करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार ने किसी अन्य वर्ग के आरक्षण में छेड़छाड़ किए बगैर मराठा समाज को यह आरक्षण देने का फैसला किया है। पक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों ने ध्वनिमत से इस विधेयक का समर्थन किया और विधान मंडल के दोनों सदनों में विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया।

विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने सदन में कहा कि विपक्ष के सभी विधायकों की यही राय है कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाए। इसलिए विधेयक बहुमत के आधार पर नहीं बल्कि सर्वसम्मति से पारित होना चाहिए। इसके बाद यह विधेयक पारित हो गया। 10 प्रतिशत मराठा आरक्षण मिलने के बाद राज्य में आरक्षण का आंकड़ा 72 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्लूएस) को दिया जानेवाला 10 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल है।

अदालत में नहीं टिक पाएगा यह आरक्षण: विपक्ष

सदन के बाहर विपक्ष ने मराठा आरक्षण विधेयक को चुनावी जुमला बताया और कहा कि पहले की तरह इस बार भी यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक सकेगा।

मराठा समाज के लिए एतिहासिक दिन

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधान मंडल के दोनों सदनों में मराठा आरक्षण बिल पेश करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने मराठाओं के लिए एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लिया है। यह लागू होने के बाद मराठा समाज के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलना शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने 3 महीने पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने शपथ ली थी। तीन महीने में हमारी सरकार ने वह वादा पूरा कर दिया है। शिंदे ने बताया कि मराठा आरक्षण के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद 6 लाख आपत्तियां सरकार को मिली हैं, जिसकी जांच की जा रही है।

खुश नहीं हुए जरांगे-पाटील

10 फरवरी से मराठा आरक्षण के लिए जालना के अपने गांव अंतरवाली सराटी में भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे-पाटील ने कहा कि सरकार ने जो मराठा आरक्षण विधेयक पारित किया है, उससे राज्य में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ऊपर चली गई है। अब आरक्षण का कोटा 62 फीसदी हो जाएगा और सुप्रीम कोर्ट पिछली बार की तरह इसे खारिज कर देगा। उन्होंने कहा कि सरकार को ओबीसी कोटे में मराठा समाज को आरक्षण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

आयोग ने मराठा समाज को बताया पिछड़ा

राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर विधान मंडल का विशेष सत्र बुलाया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मराठा समाज पिछड़ा हुआ है। राज्य की बड़ी आबादी पहले से ही आरक्षित श्रेणी का हिस्सा है। ऐसे में मराठा समुदाय जो राज्य में 28 प्रतिशत है, अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना ठीक नहीं है। यही कारण है कि राज्य में मराठा समाज को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

दो बार पहले भी मिला आरक्षण

गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले भी दो बार मराठा समाज को आरक्षण दे चुकी है लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों के चलते सुप्रीम कोर्ट में यह आरक्षण टिक नहीं पाया था। ऐसे में शिंदे सरकार द्वारा मराठा समाज को दिए आरक्षण के बाद उनकी राह अभी भी आसान नहीं दिख रही है।

तो 72 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा आरक्षण

ओबीसी- 27 प्रतिशत

अनुसूचित जाति - 13 प्रतिशत

अनुसूचित जनजाति- 7 प्रतिशत

विशेष पिछड़ा वर्ग- 2 प्रतिशत

विमुक्त जाति- 3 प्रतिशत

मराठा- 10 प्रतिशत

ईडब्ल्यूएस- 10 प्रतिशत (केंद्र सरकार)

कुलः 72 फीसदी

एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री ने कहा मराठा समाज के लिए आज स्वर्णिम दिन है। सकल मराठा समाज के लिए राज्य सरकार ने जो आरक्षण दिया है, वह अदालत में भी टिकेगा। राज्य सरकार ने मराठा समाज को दिया अपना वादा पूरा किया है।

देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री के मुताबिक मुझे लगता है कि मराठा आरक्षण विधेयक पास होने के बाद मराठाओं को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा। पिछली बार मैंने खुद मराठा समाज को आरक्षण दिया था लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसमें कुछ खामियों के चलते इसे रद्द कर दिया था। लेकिन अब ढाई करोड़ से ज्यादा घरों में जाकर सर्वे किया है, जिसके आधार पर मराठा आरक्षण दिया है।

उद्धव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी दलों ने एकमत से मराठा आरक्षण को पास कराने में भूमिका निभाई है। इसका मैं स्वागत करता हूं। मैं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने बगैर दूसरे समाज के आरक्षण को नुकसान पहुंचाए आरक्षण दिया है।

मनोज जरांगे-पाटील, मुख्य आंदोलनकारी ने कहा कि हमें अदालत में टिकने वाला आरक्षण चाहिए। राज्य सरकार ने जो आरक्षण दिया है, वह अदालत में नहीं टिकेगा। हम ओबीसी कोटे से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। आगे भी हमारी मांग जारी रहेगी।

विजय वडेट्टीवार, विपक्ष नेता विधानसभा के मुताबिक राज्य सरकार ने मराठा समाज को फंसाने का काम किया है। चुनाव सिर पर देख सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण दिया है। आरक्षण देने के बाद ढोल बजने का काम शुरू हो गया है। इस विधेयक पर सदन में हमको बोलने नहीं दिया गया।

छगन भुजबल, ओबीसी नेता बोले मैं सदन में मराठा विधेयक पर बोलना चाह रहा था। लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया। हालांकि मैं मराठाओं को दिए आरक्षण का समर्थन करता हूं। लेकिन जरांगे-पाटील खुलेआम गाली दे रहे हैं और सरकार कुछ कार्रवाई नहीं कर रही है।


Created On :   20 Feb 2024 9:15 PM IST

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