मराठा समाज आरक्षण: बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश
  • 3 जुलाई को भी मामले की अगली सुनवाई जारी
  • मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण देने का मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का विरोध करने वाली याचिकाओं पर दूसरे दिन भी सुनवाई जारी रही। याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने के लिए अपनी दलीलें पेश की। अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस.बी.शुक्रे की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को मराठा आरक्षण की सुनवाई में एक आवश्यक पक्ष बनाने को लेकर कोई विचार कर रहा है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय, न्यायमूर्ति गिरीश एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई 3 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। याचिकाकर्ताओं में भाऊसाहेब पवार की ओर से पेश वकील सुभाष झा ने मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण का विरोध करते हुए इस बात को दोहराया कि न्यायमूर्ति शुक्रे आयोग मराठा सामाज को आरक्षण देने की रिपोर्ट से पिछड़ा समाज के लोगों का जीवन को प्रभावित होगा। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने आयोग की सिफारिश पर मराठा समाज को आरक्षण देने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव किया।

जनहित याचिकाओं में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम 2024 के तहत मराठा समाज को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती दी गयी है। राज्य सरकार ने इस साल 20 फरवरी को मराठा आरक्षण को लेकर कानून पारित किया और 26 फरवरी को अधिनियम को अधिसूचित किया था। न्यायमूर्ति शुक्रे द्वारा लिखित रिपोर्ट में मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने के औचित्य के रूप में असाधारण स्थितियों का उल्लेख किया गया है, जो राज्य में कुल आरक्षण सीमा 50 फीसदी से अधिक है।

Created On :   2 July 2024 3:37 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story