विधानमंडल: दोनों सदनों को संबोधित करते हुए धनखड़ बोले - निचले स्तर पर जा रही राजनीति चिंता का विषय

दोनों सदनों को संबोधित करते हुए धनखड़ बोले - निचले स्तर पर जा रही राजनीति चिंता का विषय
  • महाराष्ट्र विधानपरिषद के शताब्दी समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपति
  • विधानमंडल के दोनों सदनों को उपराष्ट्रपति ने किया संबोधित
  • नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा में पेश हुआ विधेयक

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिनोंदिन निचले स्तर पर पहुंचती जा रही राजनीति हम सभी के लिए चिंता का विषय है। धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र बहस और संवाद से पनपता है लेकिन वर्तमान में राजनीतिक दलों के बीच संवाद गायब है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को आत्म निरीक्षण करने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति धनखड़ राज्य विधानपरिषद के शताब्दी समारोह में गुरुवार को संबोधित कर रहे थे। धनखड़ ने कहा कि सदन में नारेबाजी करना और सदन के वेल में आना किसी भी पीठासीन अधिकारी के लिए दर्दनाक होता है। उन्होंने कहा कि शिष्टाचार और अनुशासन लोकतंत्र का दिल है। इसलिए पीठासीन अधिकारी का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभापति और अध्यक्ष को दोनों पक्षों द्वारा अपनी सुविधा से निशाना बनाया जा रहा है।धनखड़ ने सदस्यों की ओर मुस्कुराते हुए कहा कि सत्ता पक्ष की बेंच अध्यक्ष की कुर्सी के दाईं ओर होती हैं, लेकिन मानव शरीर में हृदय बांई ओर होता है। इसी से कुर्सी का कामकाज परिभाषित होना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि पहले राजनीतिक दलों के बीच आपस में संवाद होता था, लेकिन आज यह संवाद गायब हो गया है। इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का विधान भवन में स्वागत किया और कहा कि धनखड़ से विधानमंडल के सदस्यों को बहुत कुछ सीखने को मिला है।

नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा में पेश हुआ विधेयक

राज्य सरकार ने व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से गुरूवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जिससे कानूनी माध्यमों से ग्रामीण और शहरी इलाकों में नक्सली संगठनों की बढ़ती मौजूदगी पर शिकंजा कसा जा सकेगा। महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा अधिनियम- 2024 नाम के इस विधेयक को शहरी क्षेत्रों में बढ़ते नक्सलवाद पर रोक लगाने के लिए अहम माना जा रहा है। हालांकि विपक्ष ने इसे राज्य की जनता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। महाराष्ट्र से पहले छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा ने गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम के लिए जन सुरक्षा अधिनियम बनाए हैं। मंत्री उदय सामंत ने यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि विस्फोटकों या अन्य उपकरणों के इस्तेमाल में संलिप्त होना या इनका प्रचार करना गैरकानूनी होगा। विधेयक में कहा गया है कि किसी गैरकानूनी संगठन से जुड़ने पर तीन से सात साल के जेल की सजा हो सकती है, और 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य सरकार इस विधेयक के जरिए राज्य की जनता में डर का माहौल पैदा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सदन में हम इस विधेयक का विरोध करेंगे।

Created On :   11 July 2024 10:16 PM IST

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