बॉम्बे हाईकोर्ट: अडानी समूह को बिजली लाइन निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की दी अनुमति, जानिए अदालत के और फैसले

अडानी समूह को बिजली लाइन निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की दी अनुमति, जानिए अदालत के और फैसले
  • 80 किलोमीटर के हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 50 किलोमीटर मैंग्रोव क्षेत्र में भूमिगत केबल बिछाने की योजना
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगरसेवक से उनके कार्यकाल के दौरान अवैध निर्माण के खिलाफ किए गए कार्य का मांगा विवरण
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षकों का वेतन नहीं मिलने पर जिला परिषद के सीईओ का वेतन रोकने का दिया निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक महेश रतनलाल बाल्दी के उरण विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर दायर याचिका पर जारी किया समन
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने केरल स्थित जूस आउटलेट द्वारा ट्रेडमार्क उल्लंघन पर मांगी रिपोर्ट

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडानी समूह को शहर और उपनगरों में बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रस्तावित हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति दी है। मुंबई, ठाणे और पालघर जिलों से होकर गुजरने वाली 80 किलोमीटर के प्रस्तावित हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए 50 किलोमीटर मैंग्रोव क्षेत्र में भूमिगत केबल बिछाने की योजना है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा लिमिटेड की दायर याचिका अपने आदेश में कहा कि बिजली ट्रांसमिशन लाइन निर्माण परियोजना मुंबई के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रांसमिशन कॉरिडोर की मौजूदा क्षमता शहर में और अधिक बिजली ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं है। पीठ ने आगे कहा कि सतत विकास की आवश्यकता और पर्यावरण को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए। पीठ ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी की याचिका को अनुमति दी, जिसमें इसके दो ट्रांसमिशन सबस्टेशनों के बीच हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) लिंक स्थापित करने के लिए वसई क्रीक के पास 209 मैंग्रोव काटने की अनुमति मांगी गई थी। इस परियोजना में 80 किलोमीटर का हिस्सा शामिल है, जिसमें से 30 किलोमीटर ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन होंगी और 50 किलोमीटर मैंग्रोव क्षेत्र में भूमिगत केबल होंगी। एचवीडीसी लाइनें मुंबई, ठाणे और पालघर जिलों से होकर गुजरेंगी। याचिकाकर्ता कंपनी के अनुसार एचवीडीसी का केवल एक किलोमीटर हिस्सा मैंग्रोव क्षेत्रों से होकर गुजरता है। पीठ ने कहा कि एचवीडीसी परियोजना मुंबई और उपनगरों को अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम होगी और शहर की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करेगी। प्रस्तावित परियोजना के सार्वजनिक महत्व को ध्यान में रखते हुए उसे मंजूरी दी गई है। इस परियोजना से मुंबई और उसके उपनगरों में बिजली उपभोक्ताओं को लाभ होगा और जिससे संभावित विकास होगा। हम परियोजना को अनुमति प्रदान करना उचित समझते हैं। हाई कोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार, राज्य भर में मैंग्रोव के विनाश पर पूर्ण रोक है। जब भी कोई अधिकारी किसी सार्वजनिक परियोजना के लिए मैंग्रोव को गिराना चाहता है, तो उसे अदालत से अनुमति लेनी होगी। ट्रांसमिशन लाइसेंस के अनुसार अडानी को मार्च 2025 तक परियोजना चालू करनी थी और उसे मैंग्रोव काटने के लिए सभी आवश्यक वैधानिक अनुमतियां मिल चुकी हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगरसेवक से उनके कार्यकाल के दौरान अवैध निर्माण के खिलाफ किए गए कार्य का मांगा विवरण

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगरसेवक श्रीकृष्ण (बाला) लक्ष्मण चव्हाण से अपने कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक जमीन पर अवैध निर्माण के खिलाफ किए गए कार्य का विवरण मांगा है। अदालत ने कहा कि जब आप पार्षद थे, तो आपने अवैध निर्माण के खिलाफ कितनी कार्रवाई की? चव्हाण की जनहित याचिका में बीएमसी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष श्रीकृष्ण (बाला) लक्ष्मण चव्हाण की ओर से वकील जगदीश जायले की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जनहित याचिका में मुंबई के खार दांडा इलाके में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने वाले मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। बीएमसी का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो गया, यह ढाई साल से अधिक समय से प्रशासक के अधीन है और 2025 में चुनाव होने की उम्मीद है। याचिका में दावा किया गया है कि बीएमसी के अधिकारियों की मिली भगत से बिल्डर खार दांडा में सरकारी जमीन पर अनधिकृत निर्माण किया गया है। अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश के बावजूद बीएमसी अधिकारियों की कथित निष्क्रियता की की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का अनुरोध किया गया है।बीएमसी के एच वेस्ट वार्ड के अंतर्गत खार दांडा में एसएनडीटी नाला पंपिंग स्टेशन के पास 20000 वर्ग फुट के खुले भूखंड पर एक अनधिकृत रूप से तीन मंजिली इमारत का निर्माण किया गया है। पिछले साल 29 अप्रैल बीएमसी अधिनियम की धारा 354 ए के तहत जारी नोटिस और उसके बाद 2 मई को अवैध निर्माण रोकने के लिए दिए गए आदेश के बावजूद अवैध निर्माण जारी है। याचिका में बीएमसी के सहायक आयुक्त विनायक विस्पुते, अधिकारी मिलिंद कदम, इंजीनियर राहुल बोडके और आदित्य जोग सहित कई अधिकारियों पर जानबूझकर कानून लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षकों का वेतन नहीं मिलने पर जिला परिषद के सीईओ का वेतन रोकने का दिया निर्देश

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षकों का वेतन नहीं मिलने पर सोलापुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। अदालत कहा कि सीईओ को भी वेतन नहीं मिलने पर कैसा महसूस होता है, यह सब सहना होगा। अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद सीईओ द्वारा कुछ शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ तीन शिक्षकों की ओर से वकील सुमित काटे की दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सीईओ को भी वेतन न मिलने पर क्या महसूस होता है, यह सब सहना होगा। पीठ ने पिछले साल 26 नवंबर के आदेश में सीईओ को शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिन्हें आठ महीने से अधिक समय तक काम करने के बावजूद वेतन नहीं दिया गया था। सीईओ को 14 जनवरी तक भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जब मामले की अगली सुनवाई होनी थी। जब मामले की सुनवाई हुई, तो बताया गया कि अभी भी शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। इस पर नाराज होकर पीठ ने कहा कि हम राज्य सरकार को सीईओ का वेतन रोकने का निर्देश दे रहे हैं, क्योंकि हमारे आदेश की अवहेलना की गई है। याचिकाकर्ताओं का वेतन भुगतान होने तक सीईओ का वेतन रोका जाएगा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को रखी है। तीन शिक्षकों ने याचिका दायर कर दावा किया कि पात्र होने के बावजूद उन्हें शुरू में स्कूलों में भर्ती के लिए शिक्षक योग्यता और बुद्धिमत्ता परीक्षण (टीएआईटी) में भाग लेने से रोका गया था। 2023 में हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने परीक्षा पास कर ली और उन्हें नियुक्त कर लिया गया। बाद में उन पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए दो एफआईआर दर्ज की गईं, जो परीक्षा दिसंबर 2022 में आयोजित की गई थी और इसके परिणाम मार्च 2023 में प्रकाशित किए गए थे। याचिकाकर्ताओं को स्थानीय पुलिस द्वारा चरित्र प्रमाण पत्र दिए गए थे और उन्हें मई 2024 में सोलापुर जिला परिषद स्कूल में नियुक्त किया गया था। अक्टूबर 2024 तक उन्हें सेवा समाप्ति पत्र दे दिए गए थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक महेश रतनलाल बाल्दी के उरण विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर दायर याचिका पर जारी किया समन

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग और रायगढ़ जिले की उरण विधानसभा सीट से भाजपा विधायक महेश रतनलाल बाल्दी को उनकी चुनाव में जीत को लेकर दायर याचिका पर समन जारी किया है। याचिका में बाल्दी के विधानसभा चुनाव में फार्म भरते समय संपत्ति का खुलासा नहीं करने को चुनौती दी गई है। 10 मार्च को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की एकलपीठ के समक्ष सुधाकर शांताराम पाटिल की ओर से वकील राजेश कचरे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील राजेश कचरे ने दलील दी कि वह एक मतदाता हैं, जो संपत्ति का खुलासा न करने के आधार पर बाल्दी के चुनाव को चुनौती दे रहे हैं। बाल्दी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।पिछले साल उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में उरण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। यह पहली बार नहीं है कि उनकी संपत्ति की जांच के लिए उन्हें अदालत में घसीटा है। इसी तरह के मुद्दे पर 2019 में दायर एक चुनाव याचिका पर अभी भी हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है। दूसरी याचिका प्रीतम म्हात्रे ने दायर की थी, जिन्होंने पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के टिकट पर बाल्दी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बाल्दी को 95390 वोट मिले, जबकि म्हात्रे को 88878 वोट मिले। राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना उद्धव उम्मीदवार भी उरण विधानसभा का चुनाव हार गए। उनकी वकील प्रियंका ठाकुर ने कहा कि बाल्दी के चुनाव को भ्रष्ट आचरण के आधार पर चुनौती दी गई है। उनकी जीत को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने केरल स्थित जूस आउटलेट द्वारा ट्रेडमार्क उल्लंघन पर मांगी रिपोर्ट

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने केरल स्थित हाजी अली फ्रेश फ्रूट जूस द्वारा कथित ट्रेडमार्क के उल्लंघन पर रिपोर्ट मांगा है। इसके लेकर दायर याचिका में मुंबई के प्रसिद्ध हाजी अली जूस सेंटर के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठित हाजी अली नाम का दुरुपयोग पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की एकल पीठ के समक्ष हाजी अली जूस सेंटर की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने पाया कि केरल आउटलेट ने ट्रेडमार्क नाम का उपयोग बंद करने के न्यायालय के पहले के आदेशों की जानबूझकर अवहेलना की है। पीठ ने अब अपने रिसीवर को इन निर्देशों के साथ आउटलेट के पालन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। विवाद तब शुरू हुआ, जब मुंबई में 54 साल पुराने हाजी अली जूस सेंटर की मालिक अस्मा फरीद नूरानी ने 2022 में विजयवाड़ा स्थित आउटलेट सहित भारत भर में कई संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की।मौजूदा कानूनी कार्रवाई इस बार केरल में एक अन्य फ्रैंचाइजी को लक्षित करती है, जो 2023 में अपने फ्रैंचाइजी समझौते की समाप्ति के बाद भी हाजी अली नाम से काम करना जारी रखती है। अदालत ने आउटलेट द्वारा कानूनी कार्यवाही से बचने और न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना करने पर अपना असंतोष व्यक्त किया।

Created On :   11 Feb 2025 9:56 PM IST

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