मुद्दा: मराठा समाज को कुणबी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल

मराठा समाज को कुणबी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल
  • अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा-क्या हम ऐतिहासिक साक्ष्यों का मूल्यांकन करने में सक्षम हैं?
  • मराठा और कुणबी में कृषि व्यवसायों, सांस्कृतिक परंपराओं और सामुदायिक अंतर्संबंधों में समानता का दावा
  • मराठा और कुणबी की पहचान ऐतिहासिक रूप से आपस में जुड़ी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के सभी मराठा समाज के लोगों को कुणबी घोषित कर जाति प्रमाण-पत्र देने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। पीआईएल में दावा किया गया है कि मराठा और कुणबी की पहचान ऐतिहासिक रूप से आपस में जुड़ी हुई है, जिसमें कृषि व्यवसायों, सांस्कृतिक परंपराओं और सामुदायिक अंतर्संबंधों में समानताएं हैं। ओबीसी श्रेणी के तहत कुणबी समुदाय के लिए निर्धारित लाभों से मराठ समाज को अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर रखा जा रहा है। 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने गुरुवार को सुनील शत्रुघ्न व्यावरे द्वारा दायर पीआईएल पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या हम ऐतिहासिक साक्ष्यों का मूल्यांकन करने और सभी मराठा समाज के लोगों को कुणबी घोषित करने और उन्हें कुणबी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में सक्षम है? अगर वे किसी जाति को मान्यता नहीं दे रहे हैं, तो उस पर विचार किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मराठा आरक्षण पर मुकदमे के पहले दौर में सुप्रीम कोर्ट ने गायकवाड़ आयोग के इस दावे पर भरोसा नहीं किया कि सभी मराठा कुणबी हैं। पीठ ने वकील से पूछा कि क्या राज्य का कोई कानूनी कर्तव्य है, जिसके लिए आदेश जारी किया जा सकता है। क्या याचिका में इस तरह की घोषणात्मक राहत का अनुरोध कर रहे हैं? किसी समुदाय को ओबीसी घोषित करने के लिए वैधानिक तंत्र क्या है? एससी और एसटी के लिए संवैधानिक प्रावधान और राष्ट्रपति के आदेश हैं।

महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य द्वारा सिफारिशें करने का प्रावधान पहले नहीं था। जयश्री पाटिल के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद एक संवैधानिक संशोधन किया गया था और संविधान के अनुच्छेद 342 ए में खंड 3 जोड़ा गया था। इसके बाद पीठ ने पूछा कि क्या इस उद्देश्य के लिए एक साधारण सरकारी प्रस्ताव पर्याप्त होगा या राज्य द्वारा कानून पारित करने की आवश्यकता होगी?

जनहित याचिका में महाराष्ट्र सरकार की 27 जनवरी 2024 को जारी अधिसूचना का हवाला दिया गया है, जिसमें महाराष्ट्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जनजाति, खानाबदोश जनजाति, पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग (जारी करने और सत्यापन का नियम) जाति प्रमाण पत्र (संशोधन) नियम 2024 के तहत कुणबी जाति रिकॉर्ड वाले मराठा समाज के रक्त संबंधियों को कुणबी के रूप में मान्यता दी गई है।

Created On :   4 July 2024 7:28 PM IST

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