जबलपुर: घट जाएगा सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी का कद, बचेंगे करीब 70 कॉलेज

घट जाएगा सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी का कद, बचेंगे करीब 70 कॉलेज
  • मप्र मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं लगभग 600 कॉलेज
  • इनमें 500 से ज्यादा नर्सिंग-पैरामेडिकल कॉलेज
  • मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। प्रदेश में अब नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स की पढ़ाई उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों में होगी, यह निर्णय आने के बाद से ही प्रदेश की एक मात्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के कद घटाने को लेकर कई तरह की चर्चाएँ हो रही हैं।

जानकारों का कहना है कि मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी बनाने के बाद इसे चलाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति ही नहीं की गई, जो कि नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सेस के संचालन में एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आ रहा था।

वहीं नर्सिंग संकाय के 350 से ज्यादा और पैरामेडिकल संकाय के 150 के लगभग कॉलेज अलग होने के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में गिनती के कॉलेज बचेंगे। जानकारी के अनुसार वर्तमान आयुर्विज्ञान, डेंटल, आयुष, नर्सिंग-पैरामेडिकल मिलाकर मेडिकल यूनिवर्सिटी में करीब 600 कॉलेज संबद्ध हैं।

इनमें से अकेले 500 से ज्यादा संख्या नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की है, ऐसे में इन संकायों के परंपरागत क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित होने के बाद लगभग 70 कॉलेज ही मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास बचेंगे।

मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले ये दोनों संकाय क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के माध्यम से संचालित होते रहे लेकिन कई तरह की समस्याएँ, विशेषज्ञों की कमी आदि के चलते इन्हें यहाँ से अलग कर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से जोड़ा गया और एक बार फिर इन्हें मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है।

कर्मचारियों की कमी से जूझ रही यूनिवर्सिटी| बताया जाता है कि विवि में करीब पौने दो सौ पद हैं, इनमें से करीब डेढ़ सौ पद खाली हैं। स्टाॅफ की इतनी कमी है कि परीक्षा और परिणाम का काम भी आउटसोर्स पर कर्मचारी रखकर करना पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी में अधिकारी भी रेगुलर नहीं है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विवि प्रबंधन द्वारा कर्मचारी चयन मंडल को खाली पद भरने के लिए पत्र भेजा हुआ है, लेकिन इसकी प्रक्रिया अभी तक अधूरी है। प्रशासन द्वारा जबलपुर में प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थापित तो की गई, लेकिन इसे चलाने के लिए कर्मचारी ही नहीं दिए गए।

Created On :   29 Jan 2024 1:23 PM GMT

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