जबलपुर: मालवीय चौक से करमचंद चौराहे तक सड़क चौड़ी लेकिन निकलने रास्ता नहीं मिलता

मालवीय चौक से करमचंद चौराहे तक सड़क चौड़ी लेकिन निकलने रास्ता नहीं मिलता
  • आधा किलोमीटर के दायरे में सड़क के 60 फीसदी हिस्से में दुकानों की सामग्री
  • वाहनों की पार्किंग, बची जगह पर फल-सब्जी के ठेले कब्जा कर लेते हैं, अब आदमी निकले तो कैसे
  • चौराहे पूरी तरह से अस्थाई कब्जों और सड़क पर पार्किंग की गिरफ्त में हैं।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के मध्य हिस्से में मालवीय चौक से करमचंद चौराहे तक देखा जाए तो सड़क चौड़ी और एरिया भी कुछ खुला हुआ है, लेकिन अफसोस इस व्यस्त इलाके में आदमी को निकलने के दौरान खासी मशक्कत करनी पड़ती है।

मालवीय चौक पर फल के ठेलों के साथ दुकानों में आने वाले ग्राहकों के वाहनों की पार्किंग होती है। चौराहे पर किसी भी वक्त ट्रैफिक सहज नहीं होता। जैसे ही आदमी इस चौराहे से करमचंद चौक की ओर आगे बढ़ता है तो अंजुमन स्कूल की दीवार से लगकर अस्थाई कब्जे रहते हैं।

इसी के सामने खुले हिस्से में जेडीए मार्केट के सामने वाहनों की पार्किंग है, जो लोगों का रास्ता रोकती है। इससे आगे बढ़ने पर बगलामुखी मठ की दीवार से लगकर कब्जे कर लिए गए हैं। इन दो चौराहों के बीच आदमी रेंगता हुआ आगे बढ़ता है।

शहर के मध्य हिस्से के दो अहम चौराहे पूरी तरह से अस्थाई कब्जों और सड़क पर पार्किंग की गिरफ्त में हैं। जिसके कारण आए दिन परेशानी होती है।

घंटाघर तक पहुँचना पहाड़ चढ़ने जैसा

कोई व्यक्ति यदि करमचंद चौक से सीधे घंटाघर होते हुए कलेक्ट्रेट, कोर्ट या रेलवे स्टेशन दोपहर के वक्त जाना चाहे, तो सड़क पर कब्जों की वजह से चुनौती ऐसी है कि जैसे आदमी बोझा लेकर पहाड़ चढ़ रहा हो।

इस पूरे इलाके में हालात कस्बाई हो जाते हैं और पीक ऑवर्स में एक छोटी कार भी थोड़ी गलत दिशा में मुड़ी तो यह कई मीटर का जाम लगा देती है। लोगों का कहना है कि मालवीय चौक से करमचंद चौक और आगे घंटाघर तक ट्रैफिक सहज और आसान तरीके से लोगों को निकलने मिले, इस विषय में कभी सड़क सुरक्षा समिति में चर्चा तक नहीं होती।

चौराहों को ऐसे ही कब्जे के लिए छोड़ दिया जाता है।

पाँच दशक से शक्ल नहीं बदली

लोगों का कहना है कि शहर के मध्य हिस्से के तीन चौराहों के आसपास जितनी भी जगह है उसमें विकास के नाम पर आज तक नगर निगम ने न तो फुटपाथ बनाए, न सड़क को चौड़ा किया और न ही आगे कोई प्लान है।

बीते पाँच दशक से यह पूरा इलाका जस का तस हालत में है। जैसे आदमी पहले रेंगते हुए आगे बढ़ता था वैसी दशा अब भी बनी हुई है।

Created On :   6 April 2024 10:24 AM GMT

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